अब किराये पर घर लेना हुआ महंगा, बढ़े शहरों में किराये में 22.4 प्रतिशत का इजाफा

वर्क फ्रॉम होम सुविधा खत्म होने के बाद किराये के घरों की बढ़ी मांग

अब किराये पर घर लेना हुआ महंगा, बढ़े शहरों में किराये में 22.4 प्रतिशत का इजाफा

नई दिल्ली। देश के शहरी क्षेत्र में किराये पर घर लेना लगातार महंगा होता जा रहा है। सालाना आधार पर देश के बड़े शहरों में जुलाई से सितंबर के बीच की तिमाही के दौरान औसत किराये में 22.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके पहले अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान इन शहरों में घरों के औसत किराये में महज 4.60 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। किराये में सबसे अधिक बढ़ोतरी मुंबई से सटे ठाणे और दिल्ली से सटे गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा में देखी गई है।

मैजिक ब्रिक्स की रेंटल इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक घरों के औसत किराये में सबसे अधिक बढ़ोतरी ठाणे में दर्ज की गई है, जहां सितंबर में खत्म हुई तिमाही के दौरान सालाना आधार पर घरों का औसत किराया 57.30 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इसी तरह गुरुग्राम में घरों के औसत किराये में 41.40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा में 28.70 प्रतिशत, नोएडा में 25.20 प्रतिशत और हैदराबाद में 24.20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके अलावा बेंगलुरु में घरों के किराये में सालाना आधार पर 23.70 प्रतिशत और मुंबई में 22.10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। रेंटल इंडेक्स के मुताबिक सितंबर में खत्म हुई तिमाही के दौरान राजधानी दिल्ली में घरों का किराया सालाना आधार पर सिर्फ 7.30 प्रतिशत ही बढ़ा है।

जानकारों के मुताबिक घरों के किराये में बढ़ोतरी होने के पीछे आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी, कंपनियों द्वारा कोरोना काल के बाद अपने कर्मचारियों को दैनिक आधार पर ऑफिस बुलाने और घरों की मांग में लगातार हो रही बढ़ोतरी मुख्य कारण हैं। मैजिक ब्रिक्स के सीईओ सुधीर पई के अनुसार घरों की सीमित संख्या में हो रहे निर्माण और लगातार बढ़ रहे शहरीकरण के कारण घरों की मांग में हुई बढ़ोतरी के कारण प्रमुख शहरों के किराये में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।

पई के मुताबिक कोरोना काल के दौरान ज्यादातर ऑफिसों में कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी गई थी। जिसकी वजह से किराये पर रहने वाले अधिकांश कर्मचारी किराये के घर को छोड़ कर अपने पैतृक निवास पर चले गए थे और वहीं रहकर काम कर रहे थे। इस वजह से कोरोना काल में घरों के किराये में तेजी से गिरावट आई थी। ये स्थिति करीब दो साल तक लगातार बनी रही। लेकिन कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को ऑफिस बुलाना शुरू कर दिया है। इसकी वजह से ऑफिस के पास घरों की मांग काफी अधिक बढ़ गई है।

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