पाकिस्तान में चीन के नागरिकों पर खतरा

पाकिस्तान में चीन के नागरिकों पर खतरा

 खैबर पख्तूनख्वा: पाकिस्तान हमेशा चीन को अपना सबसे जिगरी दोस्त बताता है. उसके इशारों पर कुछ भी करने के लिए हमेशा तैयार रहता है. चीन और पाकिस्तान की करीबी दुनिया से छिपी भी नहीं है. लेकिन इस दोस्ती की कीमत कुछ चीनी नागरिकों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है. पाकिस्तान में सक्रिय आतंकियों ने Chinese Engineers की गाड़ी पर आत्मघाती हमला कर दिया. Chinese Engineers की गाड़ी पर हमला उस समय किया गया जब, Chinese Engineers इस्लामाबाद से दासू के लिए जा रहे थे.

चीन के पांच इंजीनियरों की मौत

आतंकियों ने चीनी नागरिकों पर हमला खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में किया. आतंकियों ने बेशम शहर के पास आत्मघाती हमले को अंजाम दिया. विस्फोटक से भरी एक कार Chinese Engineers की गाड़ी से टकराई. हमले में पांच चीनी Engineer और एक पाकिस्तानी की मौत हो गई. चीनी Engineer Dasu Hydropower Project के सिलसिले में पाकिस्तान में थे. आतंकियों की विस्फोटक से भरी कार जब Chinese Engineers की गाड़ी से टकराई, तो जोरदार धमाका हुआ और कार खाई में जा गिरी. ये पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान में चीन के नागरिकों को निशाना बनाकर मारा गया है.

पहले भी हो चुके हैं हमले

चीन के करीब साढ़े सात हज़ार नागरिक पाकिस्तान में अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इनमें Dasu Hydropower Project, CPEC यानी China Pakistan Economic Corridor प्रोजेक्ट शामिल हैं. इन प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी नागरिकों को पाकिस्तान में अक्सर निशाना बनाया जाता है. चीनी नागरिकों पर आतंकी हमले किये जाते हैं. पिछले कुछ वर्षों में कई Chinese Engineers और नागरिकों ने अपनी जान गंवाई है. जब चीन ने इन हमलों को लेकर पाकिस्तान को आंख दिखाई, तब वर्ष 2014 में पाकिस्तान सरकार ने चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए Special Protection Unit बनाई. Special Protection Unit में 4 हज़ार से ज्यादा Security Officials शामिल हैं, ज्यादातर पाकिस्तान आर्मी से ताल्लुक रखते हैं.

पाकिस्तान में चीन के नागरिकों पर खतरा

ऐसी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी चीनी नागरिकों पर पाकिस्तान में ना सिर्फ हमले हो रहे हैं, बल्कि उनकी जान पर खतरा भी बना हुआ है. जबकि पाकिस्तान ऐसा देश है जो चीन के सैंकड़ों अहसान के तले दबा हुआ है. ऐसे में अगर चीन के नागरिकों को पाकिस्तान में निशाना बनाकर मारा जायेगा, तो चीन का नाराज होना लाजमी है.पाकिस्तान में आतंकी हमला होना कोई नई बात नहीं है और पाकिस्तान को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आतंकी हमले में उसके कितने नागरिक मारे गए. हमला क्यों हुआ, किसने किया. क्योंकि, भारत से नफरत में पाकिस्तान आतंकवाद और आतंकियों का समर्थन करता आया है.

पाकिस्तान के हुक्मरानों के हाथ पैर फूले

पाकिस्तान में सत्ता चाहे किसी की रहे, देश की अवाम उनके लिए कोई मायने नहीं रखती. लेकिन अगर आतंकी हमला चीनी नागरिकों पर हो जाये, और वो भी एक साथ 5-5 चीनी नागरिक आतंकी हमले में मारे जायें. तो पाकिस्तान के हुक्मरानों के हाथ पैर फूल जाते हैं. उन्हें दिन में तारे दिखाई देने लगते हैं. और मंगलवार को हुए चीनी नागरिकों पर हमले के बाद भी ऐसा ही हुआ.

शहबाज शरीफ खुद ही चीनी दूतावास पहुंच गए

पांच चीनी नागरिकों के आतंकी हमले में मारे जाने से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इस कदर घबरा गए, कि हमले के कुछ ही घंटे बाद अपनी पूरी कैबिनेट के साथ इस्लामाबाद स्थित चीन के दूतावास पहुंच गए. शहबाज शरीफ को डर था, कि चीन डांट फटकार लगाए उससे पहले किसी तरह उसे मना लिया जाये.  पाकिस्तान, चीन के साथ अपनी दोस्ती को हिमालय से ऊंचा और समुद्र से गहरा बताता है, चीन को आयरन ब्रदर कहता है. लेकिन इस आतंकी हमले के बाद जो सामने आया वो चौंकाने वाला है. आमतौर पर ऐसी घटनाओं के बाद दूतावास मंत्री जाते हैं या राजदूत को प्रधानमंत्री आवास बुलाया जाता है. लेकिन डर की वजह से शहबाज शरीफ खुद ही चीनी दूतावास पहुंच गए.

चीन के राजदूत से आंख तक नहीं मिला सके शहबाज

शहबाज शरीफ की इतनी हिम्मत नहीं हुई, कि चीन के राजदूत से आंख से आंख मिलाकर बात तक कर सकें. पूरी बातचीत के दौरान शहबाज शरीफ चुपचाप नज़रें झुकाकर बैठे रहे. चीन का पाकिस्तान से नाराज होना और पाकिस्तान सरकार का डर दोनों जायज है. क्योंकि, पिछले कुछ वर्षों में बार-बार चीन के नागरिकों को आतंकियों ने निशाना बनाया है. कई चीनी नागरिकों की जान भी गई है. लेकिन इस तरह के हमलों को रोकने में पाकिस्तान हमेशा नाकाम रहा है. 

 

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