ब्रह्माकुमारीज संस्था की प्रथम संचालिका जगदम्बा सरस्वती की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
फिरोजाबाद , प्रजापिता ईश्वरीय ब्रम्हाकुमारी विश्वविद्यालय के ज्योति भवन, कैला देवी सेंटर पर ब्रह्माकुमारीज संस्था की प्रथम संचालिका जगदम्बा सरस्वती की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा आयोजन हुआ
जगदम्बा सरस्वती को प्यार में सभी मम्मा कहते थे, उनकी श्रद्धांजलि कार्यक्रम के अवसर पर उनके के चित्र पर सेंटर संचालिका सरिता दीदी के साथ मुख्य रूप से डायरेक्ट डॉ प्रभास्कर राय, उप नगर आयुक्त राम नयन, कर निर्धारण अधिकारी नीरज पांडेय , सीनियर सी0ए0 राकेश गोयल, सहित कई अन्य विशिष्ट भाई बहनों ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए याद किया ।
आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में संचालिका सरिता दीदी ने कहा कि मम्मा सर्व गुणों की खान और मानवीय मूल्यों की विशेषताओं से सम्पन्न थीं। मम्मा का चित्त बिल्कुल शांत था, माँ ने कभी किसी बच्चे का अवगुण नहीं देखा, न कभी चित्त पर रखा। किसी का अवगुण देख करके अपने चित्त पर रखना फिर वर्णन करना फिर कइयों के दिल को खराब करना - यह धंधा बहुत खराब है, जो मम्मा को बिल्कुल पसंद नहीं था। मम्मा ने हर बच्चे की कमियों को स्वयं में समाया, उनकी गलती कभी फैलायी नहीं। वास्तव में यही सच्चा स्नेह है। मम्मा ने कभी किसी को मौखिक शिक्षा नहीं दी बल्कि अपने प्रैक्टीकल जीवन से प्रेरणा दी। इसी से दूसरे के जीवन में परिवर्तन आ जाता था। मम्मा के सामने चाहे कितना भी विरोधी, क्रोधी, विकारी, नशेड़ी आ जाता परन्तु मम्मा की पवित्रता, सौम्यता व ममतामयी दृष्टि पाते ही वह शांत हो जाता और मम्मा के कदमों में गिर जाता।
इस प्रकार अपने ज्ञान, योग, पवित्रता के बल से विश्व की सेवा करते हुए मम्मा-सरस्वती ने 24 जून 1965 को अंतिम सांस ली।
दीदी ने कहा कि मम्मा की सत्यता, दिव्यता व पवित्रता की शक्ति ने लाखों कन्याओं के लौकिक जीवन को अलौकिकता में परिवर्तित कर दिया और उन कन्याओं ने अपना सीमित परिवार त्याग कर विश्व को अपना परिवार स्वीकार करके विश्व की सेवा में त्याग व तपस्या द्वारा जुट गईं।
उन्होंने कहा कि मानव समाज को मम्मा ने अपने जीवन के अनुभव से एक बहुत बड़ी देन दी है ,कि अपने जीवन को सफल बनाने के लिए व विश्व सेवा के लिए बीस नाखूनों की शक्ति लगा दो तो सफलता अवश्य आपके हाथ लगेगी। मम्मा बहुत कम बोलती थीं, और दूसरों को भी कम बोलने का इशारा करती थीं। अधिक बोलने से हमारी शक्ति नष्ट हो जाती है, ऐसा मम्मा का कहना था।
*उनके द्वारा दिये गये सफल जीवन के 5 सूत्र, मम्मा द्वारा दी गई अनमोल शिक्षाएं...*
*1* जब ब्रह्मा बाबा के मुख द्वारा शिव बाबा मुरली सुनाते हैं तो आपके कान तक आते-आते बीच में माया प्रवेश ना हो। ध्यान रखना कि बाबा के मुख और तुम्हारे कान के बीच अंतर है। इसलिए सदा रूहानी स्थिति में स्थित होकर ही मुरली सुनना।
*2* हमारा जीवन लिफाफे की तरह बंद नहीं बल्कि पोस्ट कार्ड की तरह सदा खुला होना चाहिए।
*3* सदा 'हां जी' का पाठ पक्का करना। समझो कोई ने कार्य सौंपा लेकिन आपको नहीं आता, तो सीधा 'ना' नहीं बोलना, ना माना नास्तिक। उससे यह पूछना कि यह कैसे होगा? यदि आप हमें तरीका बता देंगे तो हम वैसे कर लेंगे।
*4* चौथी बात जो मम्मा ने बच्चों को समझाई कि कभी भी कोई बात हो तो उसका वातावरण नहीं बनाना यानी गंभीरता का गुण अपनाना।
*5* पांचवी बात मम्मा ने बताई कि अपनी मत को जीवन का जिम्मेवार नहीं बनाना। बाबा को जीवन दी है, उसे ही जिम्मेवार माना तो मदद मिलेगी। अपनी मत व जिम्मेवारी से बाप की मदद व शक्ति नहीं मिलेगी।
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