साइबर क्राइम करने वालों की अब खैर नहीं, हेल्पलाइन नम्बर जारी
By Tarunmitra
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नई दिल्ली। साइबर फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने नया नेशनल हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। गृह मंत्रालय ने नेशनल हेल्पलाइन नंबर 155260 को बदलकर 1930 कर दिया है। दूरसंचार विभाग ने अपने आधिकारिक X हैंडल से इस नए हेल्पलाइन नंबर की जानकारी शेयर की है। यह हेल्पलाइन नंबर खास तौर पर उन लोगों की मदद करेगा, जिनके साथ किसी भी तरह का फाइनेंशियल फ्रॉड किया गया है। इसके अलावा नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर भी इसकी शिकायत कर सकते हैं।
गृह मंत्रालय (MHA) और भारतीय साइबर क्राइम को-ओर्डिनेशन सेंटर (I4C) द्वारा शुरू की गई यह पहल भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षित डिजिटल भुगतान प्रणाली प्रदान करने की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। साइबर फ्रॉड के शिकार हुए लोग इस 4 अंको की हेल्पलाइन नंबर पर कभी भी कॉल कर सकते हैं। इस हेल्पलाइन नंबर को संबंधित राज्य पुलिस द्वारा संचालित किया जाता है।
फ्रॉड करने वालों की अब खैर नहीं
इस नंबर पर की गई शिकायत पर साइबर फ्रॉड से संबंधित विवरण लिया जाएगा और फ्रॉड रिपोर्टिंग और मैनेजमेंट सिस्टम पर एक टिकट जारी किया जाएगा। इसके बाद संबंधित बैंक, वॉलेट या व्यापारी को भेजा जाएगा, ताकि फ्रॉड किए गए रकम को फ्रिज किया जा सके। रकम फ्रिज होने के बाद साइबर अपराधी इस रकम का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। अगर, फ्रॉड के बैंक में यह राशि ट्रांसफर हो गया है, तो भी यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी, जब तक की पैसे की वसूली नहीं हो जाती।
नेशनल हेल्पलाइन नंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सभी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक और ऑनलाइन वॉलेट के सहयोग से डेवलप किया गया है। हेल्पलाइन नंबर होने से वे लोग भी साइबर क्राइम को रिपोर्ट कर सकेंगे, जो इंटरनेट इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं हैं। साथ ही, साइबर क्राइम को रिपोर्ट करने के लिए थाने का चक्कर नहीं लगाना होगा।
देश में बढ़ते साइबर अपराधों की घटनाओं को देखते हुए गृह मंत्रालय और I4C कड़ी निगरानी कर रहे हैं। साथ ही, नागरिकों को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करने के लिए शिक्षित भी किया जा रहा है। किसी भी तरह के साइबर अपराध के लिए सरकार द्वारा जारी इस नए 4 अंकों के हेल्पलाइन नंबर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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