विकास दुबे की गोली के शिकार हुए पुलिसकर्मियों को नोटिस, पुलिस महकमे में हड़कम्प
15 दिनों में वापस करें साढ़े छह लाख रुपये, नहीं तो वेतन प्रतिमाह से होगी 20 प्रतिशत की कटौती
कानपुर। देश भर में चर्चित कानपुर का बिकरु कांड एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस नरसंहार के दौरान घायल हुए पुलिस कर्मियों को शासन की ओर से इलाज के लिए साढ़े छह लाख रुपए दिए गए थे। लेकिन अब पांच साल बाद इन सभी को नोटिस थमा दिया गया है। जिसमें साफ तौर पर लिखा है कि 15 दिनों के अंदर पूरा पैसा वापस कर दें। अन्यथा वेतन से प्रति माह 20 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। मामले को लेकर परेशान पांचों पुलिसकर्मियों ने जॉइंट पुलिस कमिश्नर हेडक्वार्टर से मुलाकात कर नोटिस के विषय में जानकारी दी है। जिस पर जेसीपी ने उन्हें हर हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
क्या था मामला?
दो जुलाई 2020 की रात चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव में शहीद क्षेत्राधिकार देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस टीम ने दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पकड़ने के लिए दबिश देने गयी थी। जिसमें विकास दुबे ने अपने गुरु के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी थी। जबकि पांच पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके जवाब में पुलिस ने विकास दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया था।
बिकरु कांड में दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम सदस्य उप निरीक्षक सुधाकर पांडेय, अजय कश्यप, कौशलेंद्र प्रताप सिंह, हेड कांस्टेबल अजय सिंह सिंगर और कांस्टेबल शिव मूरत निषाद गंभीर रूप से जख्मी हुए थे। इन सभी पुलिस कर्मियों को घायल शहर के एक नाम चीन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। साथ ही उनके इलाज के लिए जीवन रक्षक निधि के अंतर्गत पांच लाख एवं जनपदीय जीवन रक्षक निधि फंड से डेढ़ लाख रुपए यानी कुल मिलाकर साढ़े लाख रुपए की राशि प्रत्येक पुलिसकर्मी के इलाज के लिए दी गई थी।
अब इस घटना के पांच साल बाद उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय लखनऊ से इन सभी पुलिसकर्मियों को एक नोटिस जारी किया गया है। जिसमें दर्शाया गया है कि इलाज के दौरान दिए गए साढ़े छह लाख रुपए अगले 15 दिनों में शासन को वापस कर दें। अन्यथा पुलिसकर्मियों के वेतन से प्रति माह बीस प्रतिशत की कटौती की जाएगी।
मामले को लेकर संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) आशुतोष आशुतोष कुमार ने शुक्रवार को बताया कि जीवन रक्षक निधि अस्थाई ऋण की व्यवस्था होती है। जो बीमारी या आपातकालीन स्थिति में पुलिसकर्मियों को प्रदान की जाती है। जिसके अंतर्गत शासन की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इलाज में खर्च हुए रुपयों का सारा हिसाब शासन को भेजा जाता है। जिसके आधार पर सारी रकम बिना किसी ब्याज के वापस कर दी जाती है लेकिन इस मामले में किसी तरह की चूंक हो जाने कारण इन्हें नोटिस भेजा गया है।
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