राम मंदिर की रक्षा के लिए हिन्दुओं ने सत्रह दिनों तक अनवरत संघर्ष किया

राम मंदिर तोडऩे के लिए मुगल सेना ने तोप का इस्तेमाल किया था

राम मंदिर की रक्षा के लिए हिन्दुओं ने सत्रह दिनों तक अनवरत संघर्ष किया

लखनऊ। श्रीराम जन्म भूमि पर स्थित राममंदिर को मुगल सेना तोड़ रही है। यह सूचना जंगल में आग की तरह चारों तरफ फैल गई। लोग जुटने लगे, हिंदुओं में आक्रोश फैल गया। विरोध और संघर्ष का सिलसिला शुरू हुआ। अनगिनत बलिदानों से अयोध्या की धरती लाल हो उठी। संत, महंत, आचार्य, पुजारी, वेदपाठियों का बलिदान होने लगा तो स्थानीय जनता भी पीछे नहीं रही। राम मंदिर की रक्षा के लिए सत्रह दिनों तक संघर्ष जारी रहा। मुगल सेना के पास बड़ी संख्या में घुड़सवार सैनिकों के अलावा हाथियों का लंबा काफिला था। इसके अलावा वह उस जमाने की तोप से भी लैश थे। इन तोपों का इस्तेमाल मंदिर को गिराने में भी किया जा रहा था।

एक लाख छिहत्तर हजार बलिदान हुए
अयोध्या का इतिहास में लाला सीताराम लिखते हैं कि करीब 17 दिनों के संघर्ष के बाद तोपों की मार से मंदिर लगभग ध्वस्त हो चुका था। माना यह जाता है कि हिंदू पक्ष से कुल एक लाख छिहत्तर हजार लोग मारे गए लेकिन इससे कई गुना अधिक मुगल सैनिक मारे गए। प्रयाग विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर डीपी दूबे बताते हैं कि पहले जब संदेश का माध्यम डाक विभाग हुआ करता था तब लोग चिट्यिां भेजते समय लिफाफे पर एक लाख छिहत्तर लिखा करते थे। जिसका आशय उन बलिदानों को याद करना और एक दूसरे को मंदिर विध्वंस की याद दिलाना हुआ करता था।

दूसरी मान्यता यह है कि जिसके नाम से चिट्टी होती थी उसके अलावा कोई और पढ़े तो उसे इतने ही मानव हत्या का पाप लगेगा।इस युद्ध में भीटी के राजा महताब सिंह, हंसबर के राजा रणविजय सिंह, महरही के राजा संग्राम सिंह और उनकी सेना के अधिकांश सैनिक मारे गए। मुगल कालीन इतिहास के जानकार शोध छात्र अवनीश पाण्डेय बताते हैं कि इस युद्ध के बाद बाबर ने सरकारी फरमान जारी करते हुए हिंदूओं के अयोध्या जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। मंदिर के विध्वंस हो जाने के बाद उसी मंदिर के अवशेषों और मसालों से मस्जिद का निर्माण शुरू हो गया।

ब्रिटीश इतिहासकार कनिंघम अपने लखनऊ गजेटियर पेज 26 के पेज तीन पर लिखते हैं कि जन्मभूमि के श्रीराम मंदिर को बाबर के वजीर मीर बांकी द्वारा गिराए जाने के अवसर पर हिंदुओं ने अपने जान की बाजी लगा दी। एक लाख छिहत्तर हजार हिंदुओं की हत्या के बाद बाबर का वजीर मीर बांकी खां ताशकंदी राम मंदिर को गिराने में सफल हो पाया ।हैमिल्टन ने बाराबंकी गजेटियर में यहां तक लिखा है कि फकीर जलालशाह (मंदिर के मुख्य पुजारी बाबा श्यामानंद का शिष्य) ने शहीद हिंदूओं के खून से गारा बनाकर लखौरी ईंटों (बेहद पतली ईंट) को मस्जिद बनाने के लिए दिया।

अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर स्थित विश्व का सबसे भव्य मंदिर मुगल सेना ने तोड़ दिया था और उसके ही मलबे से मस्जिद तामीर होना शुरू हो गया था। लेकिन हिंदू शांत नहीं बैठे। युद्ध लगातार जारी रहा। बलिदानों का सिलसिला चल पड़ा था। वीरगति प्राप्त करने के लिए एक के बाद एक हिंदुओं का जत्था आक्रमण करता रहा। बाबरनामा में जिस हिंदू वीर की चर्चा बाबर ने किया है वह पंडित देवीदीन पाण्डेय थे।

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