अनुराग का कोर वोटर ब्राह्मण हुआ नाराज! 

क्या घर से ही घात हो सकता है भाजपा के साथ? 

अनुराग का कोर वोटर ब्राह्मण हुआ नाराज! 

*ब्राह्मणों ने एकजुट हो बांटे भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ पर्चे *झाँसी -ललितपुर लोकसभा में 2 लाख के करीब है ब्राह्मण वोट *भाजपा को तीसरी और खुद दूसरी सफलता की तलाश में अनुराग 

झाँसी। झाँसी -ललितपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा 2014 व 2019 के बाद निरन्तर तीसरी बार सांसद जिताने का प्रयास कर रही है। पार्टी ने 2014 दिग्गज नेता उमा भारती और 2019 में उद्योगपति अनुराग शर्मा पर दांव लगाया था और दोनों बार वह सफल रही। उमा को तो पार्टी ने बाद में केंद्र में मंत्री भी बनाया था। लेकिन 5 साल के उनके कार्यकाल में जनता से दूरी और नाराजगी को देखते हुए 2019 में उनका टिकट काटकर झाँसी के उद्योगपति परिवार से आने वाले अनुराग शर्मा को टिकट दे दिया गया। यह बदलाव जनता को रास आया भी, क्योंकि एक तो वे स्थानीय थे और दूसरे ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते थे। 2024 में भाजपा ने अनुराग को ही दुबारा टिकट दिया है। शायद ब्राह्मण और उद्योगपति होने का फायदा अनुराग को मिला वरना उमाभारती की तरह ही अनुराग का भी डटकर विरोध हो रहा था, आरोप भी वही उमा भारती वाले हैं, कार्यकर्त्ताओं की उपेक्षा, मतदाताओं से दूरी और विकास कार्यों के प्रति लापरवाही। भाजपा ने अनुराग को टिकट दे तो दिया लेकिन अब चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें जनाक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। और तो और जिस ब्राह्मण समाज का होने के कारण उन्हें टिकट का हक़दार समझा गया उसी ब्राह्मण वर्ग का एक बड़ा तबका अनुराग के पक्ष में खुलकर उतर आया है। पिछले दिनों ब्राह्मण समाज के प्रभावशाली तबके ने इकट्ठे होकर अनुराग शर्मा के खिलाफ खुलकर पर्चे बांटे और समाजजनों से अनुराग को धर्म विरोधी पार्टी का उम्मीदवार बताते हुए उन्हें हराने की अपील की। दरअसल, यह ब्राह्मण वर्ग इस बात से नाराज है कि राम मंदिर के उदघाटन में शंकराचार्यों की उपेक्षा क्यों की गई। भाजपा को सनातन विरोधी, धर्म विरोधी व परशुराम विरोधी पार्टी बताते हुए कहा गया कि ऐसी पार्टी को सत्ता में रहने का हक़ नहीं है। चूंकि अनुराग भाजपाई उम्मीदवार हैं तो जाहिर है कि उन्हें निशाना बनाया ही जाएगा। दरअसल, 20 लाख से अधिक मतदाताओं वाली झाँसी -ललितपुर लोकसभा सीट को आरम्भ से ब्राह्मण सीट माना गया जबकि यहां सर्वाधिक मात्रा में पिछड़ा व दलित मतदाता है। ब्राह्मण इस लोकसभा क्षेत्र में लगभग पौने दो लाख से ऊपर हैं और यह संख्या कुल 20.5 लाख मतदाताओं की 10% होती है। 2019 में अनुराग को मिले वोटों में यह संख्या शत प्रतिशत थी। परन्तु इस बार जिस तरह ब्राह्मण वर्ग अनुराग के विरोध में खुलकर उतर आया है वह उनके लिए चिंता का विषय हो सकता है। वैसे भी ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार पंजे की ओर रुझान अधिक नजर आ रहा है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी इस लोकसभा क्षेत्र में सवा लाख के ऊपर है और उनका भी साफ़तौर पर झुकाव इंडिया गठबंधन की ओर दिख रहा है। इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी के शामिल होने से भी कांग्रेस के गठबंधन की ओर से प्रत्याशी प्रदीप जैन को अपेक्षित समर्थन की आशा है। 2019 में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी को झाँसी -ललितपुर लोकसभा में 4 लाख के ऊपर वोट मिले थे, इसमें बड़ा प्रतिशत अगर गठबंधन प्रत्याशी की ओर मुड़ा तो अनुराग को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। कुल मिलाकर ब्राह्मण वोट किसी सूरत में भाजपा से छिटका या बंटा तो भाजपा प्रत्याशी के लिए लगातार दूसरी और भाजपा के लिए लगातार तीसरी बार झाँसी -ललितपुर सीट जीतना दुश्वार भी हो सकता है।

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