कांग्रेस के जिताऊ पार्षद बनाम बीजेपी के आयातित प्रत्याशी !

लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट उपचुनाव पर घोषित हुए कांग्रेस-बीजेपी के उम्मीदवार

कांग्रेस के जिताऊ पार्षद बनाम बीजेपी के आयातित प्रत्याशी !

रवि गुप्ता

  • मुकेश सिंह चौहान ने क्षेत्र में जमा रखा है पंजा, ओपी श्रीवास्तव कमल से कायदे से नहीं रहे रूबरू
  • आशुतोष टंडन के देहांत बाद रिक्त हुई थी सीट, राजनाथ के बेटे नीरज सिंह की भी थी चर्चा
  • सीट से जीते पूर्व सीएम चंद्रभान गुप्त, वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री स्वरूप रानी बख्शी, विद्यासागर गुप्ता व  कलराज मिश्र

लखनऊ। मैं, लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट हूं...खुशी इस बात की है कि आजादी के बाद से ही मुझे वीआईपी सीट का दर्जा मिला हुआ है क्योंकि मेरी ही सीट से कभी पूर्व सीएम चंद्रभानु गुप्ता, कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री स्वरूप रानी बख्शी, विद्यासागर गुप्ता, कलराज मिश्र से लेकर दिवंगत आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल जी ने विधानसभा में जनता-जनार्दन का प्रतिनिधित्व किया। अब उनके देहांत के बाद रिक्त हुई सीट पर 2024 लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा उपचुनाव होना है। जिसको लेकर सबसे पहले इंडिया गठबंधन यानी कांग्रेस ने इंदिरानगर क्षेत्र के जमीनी पार्षद मुकेश सिंह चौहान को टिकट दिया जबकि इसके फौरन बाद आनन-फानन में बीजेपी ने ओपी श्रीवास्तव के नाम पर मुहर लगायी।

अच्छा तो लगा कि चलो, अब चुनाव-उनाव खत्म होगा और फिर मेरे क्षेत्र में विकास व जनोपयोगी के कुछ कार्य तेजी से होंगे, मगर फिर कुछ देर बाद यह सोचने को मजबूर होना पड़ा कि आखिर ये कौन वाले ‘ओपी’ हैं, पहले तो ओपी श्रीवास्तव तो वही लगे जिनका सीधा ताल्लुकात एक कॉरपोरेट घराने से है और वोे लखनऊ वासियों के बीच जगजाहिर भी हैं...लेकिन फिर पता लगा कि ये ओपी वो वाले नहीं है, बल्कि ये कुछ समय पहले बीजेपी से जुड़े हैं और संगठन में कोषाध्यक्ष आदि का पद संभाला और इंदिरानगर क्षेत्र में ही निवास करते हैं। इसके बाद जब क्षेत्र के कुछ वरिष्ठ नागरिकों के मन-मस्तिष्क को टटोला तो यही जवाब मिला कि भाई, ये ओपी साहब, रहते होंगे यहीं-कहीं, मगर हम लोगों से तो कोई सीधे रूबरू नहीं हैं।

हैरानी की बात तो तब हुई जब तरूणमित्र टीम ने पूर्वी विस क्षेत्र के तहत आने वाले कुछ पार्षदों से भी बात की तो उनका दबे जुबां यही कहना रहा कि भाई जी, इन ओपी साहब को तो हम लोग नहीं जानते हैं। आगे बोले कि कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश सिंह चौहान क्षेत्र के हर एक कोने से बखूबी वाकिफ है, और लगातार तीन बार से अकेले दम पर पंजे के निशान पर पार्षदी का चुनाव जीतता आ रहा है।

शायद इन्हीं बिंदुओं पर मंथन करते हुए अबकी सपा-कांग्रेस ने मुकेश सिंह चौहान के नाम पर बीजेपी के गढ़ में राजनीतिक दांव खेला है। हालांकि इस सीट पर शुरूआती दौर में राजनाथ सिंह के बेटे नीरज सिंह और टंडन जी के दूसरे पुत्र अमिट टंडन के नाम पर भी चर्चा उठी थी, मगर राजनीतिक समीकरण कहीं न कहीं फिट नहीं बैठ पाये। वैसे बता दें कि लखनऊ पूर्वी एक बड़ा व्यापक क्षेत्र है जिसमें महानगर, गोमतीनगर, इंदिरानगर, रवींद्रपल्ली, विकासनगर, अलीगंज आंशिक, पेपर मिल कॉलोनी, न्यू हैदराबाद, निशातगंज, बाबापुरवा, बीकमपुर, खुर्रमनगर, मुंशी पुलिया, आईटी चौराहा, सुगामऊ, मानस विहार सहित तमाम इलाके आते हैं।

बूथ पर बीजेपी का फोकस, पर यहां चूक गये क्या...!

लखनऊ जनपद की राजनीतिक आबोहवा को सटीक तौर पर भांपने-नापने वाले कुछ जानकारों से जब तरूणमित्र टीम ने बातचीत की तो उनका साफ तौर पर यही मत रहा कि लखनऊ पूर्वी सीट में उम्मीदवार के नाम तय करने में पहले तो पार्टी ने देरी की और दूसरे चयन करते समय इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया गया कि आखिर जिस टिकट दिया है, उनकी स्वयं की लोकल पहचान और जन स्वीकार्यता पूर्वी क्षेत्र में कितनी और कहां तक है। आगे यह भी बोले कि वैसे देखा जाये तो पीएम मोदी, शाह, नड्डा से लेकर भूपेंद्र चौधरी और सीएम योगी तक हर बार चुनावी बैठकों में सबसे अधिक बूथों पर ही फोकस करने का मंत्र देते हैं, लेकिन लखनऊ पूर्वी सीट के मामले में यह मूल मंत्र दरकिनार प्रतीत होता दिख रहा है।

booth16

कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश सिंह चौहान से जुड़े कुछ लोगों से जब इस मामले में बात की गई तो दबे जुबां उनका यही कहना रहा कि भईया, अगर यहां से बीजेपी ने कहीं क्षेत्र के कर्मठ व जमीनी पकड़ रखने वाले अपने वरिष्ठ कार्यकर्ता गोपाल अग्रवाल को टिकट दे दिया होता तो हमारा मामला थोड़ा आगे-पीछे रहता, मगर अब ओपी जी के आने के बाद से कोई खास दिक्कत नहीं होगी, बस हमको यही करना है कि अपने वोटर्स बूथ तक पहुंचा दें जिसको लेकर हमने रणनीति बनानी शुरू कर दी है।

वहीं क्षेत्र में बीजेपी के कुछ पूर्व पार्षदों का मत रहा चूंकि आशुतोष टंडन बीते काफी समय से एक तरह से लखनऊ पूर्वी क्षेत्र से कट से गये थे और वहां के कार्यकर्ताओं से भी उनकी दूरी बनती जा रही थी, ऐसे में तमाम कार्यकर्ता भी पार्टी के इस फैसले को लेकर असहज महसूस कर रहें। जबकि गोपाल अग्रवाल तीन बार से इंदिरानगर क्षेत्र में बूथ अध्यक्ष रहें और तमाम राजनीतिक ऊठापटक वाले दौर में भी पार्टी के साथ बने रहें, लेकिन उनको टिकट नहीं मिलने पर अकेले इंदिरानगर, मुंशी पुलिया, मानस विहार सहित आसपास के नागरिकों में काफी रोष है जोकि पहले से बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है। 

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