वासंतिक चैत्र नवरात्र की शुरूआत 09 अपैल से, मातारानी का आगमन घोड़े से

सियासी गलियारों में भी उठापटक देखने को मिलेगी,बड़े बदलाव का संकेत

वासंतिक चैत्र नवरात्र की शुरूआत 09 अपैल से, मातारानी का आगमन घोड़े से

वाराणसी। आगामी 09 अप्रैल मंगलवार से शुरू हो रहे वासंतिक चैत्र नवरात्र में इस बार आदि शक्ति मां दुर्गा का आगमन घोड़े से होगा। घोड़े से माता के आगमन का संकेत देश और समाज के लिए अच्छा नही माना जाता। माना जा रहा है कि इससे देश में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। प्राकृतिक आपदा की संभावना बनी रहेगी। शिव आराधना समिति के संस्थापक डॉ मृदुल मिश्र बताते हैं कि नवरात्र में माता जगदम्बा अलग—अलग वाहनों से आती है। माता रानी का वाहन इस बात का संकेत देता है कि देश और समाज के लिए आने वाला समय कैसा रहने वाला है। घोड़े से आना युद्ध का प्रतीक भी माना जाता है। सियासी गलियारों में भी उठापटक देखने को मिलती है।

डॉ मिश्र बताते हैं कि वर्ष 2023 में चैत्र नवरात्र की शुरूआत मंगलवार से हुई थी। युक्रेन और रूस के साथ इजराइल और हमास के बीच भी युद्ध की स्थिति देखी गई। उन्होंने बताया कि मंगलवार और शनिवार के दिन जब भी नवरात्र की शुरुआत होती है तो माता घोड़े पर सवार होकर धरती पर आती है। बुधवार से नवरात्र की शुरूआत होने पर माता दुर्गा नाव से आती हैं। गुरुवार और शुक्रवार से नवरात्र की शुरूआत होने पर जगदम्बा का आगमन डोली से होता है। इसी तरह रविवार और सोमवार को शुरूआत होने पर हाथी से माता का आगमन होता है। वासंतिक चैत्र नवरात्र इस बार पूरे नौ दिन का है।

पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू होती है। इस साल प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल की रात्रि में लगभग 11 बजकर 51 मिनट से शुरू हो जाएगी, लेकिन उदया तिथि की मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल को ही होगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 09 अप्रैल से भारतीय नवसवंत्सर (सनातनी नववर्ष) की शुरूआत हो रही है। ज्योतिषविदों के अनुसार नवरात्र में कलश स्थापना 9 अप्रैल को सुबह 06:12 से 10:23 बजे सुबह तक होगा। घट स्थापना अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से 12:53 दोपहर बजे तक है, इसमें कुल 50 मिनट ही घट स्थापना के लिए मिल रहे हैं। दोनों ही मुहूर्त को अच्छा माना जा रहा है। 17 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी।



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