बिहार में बीजेपी का सवर्ण कार्ड, 17 में से 10 सीटों पर अगड़ी जाति के उम्मीदवार

बिहार में बीजेपी का सवर्ण कार्ड, 17 में से 10 सीटों पर अगड़ी जाति के उम्मीदवार

बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने अपने सीट बंटवारे के साथ प्रत्याशियों के नाम के भी घोषणा कर दी है। भाजपा-जदयू ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी हैं। हालांकि, चिराग पासवान की ओर से अभी भी उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया गया है जिन्हें गठबंधन में 5 सीटें दी गई हैं। बिहार की सियासत को देखें तो यह पूरी तरीके से जाति के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। इन सबके बीच भाजपा ने भी अपने सियासी समीकरण को साधने की कोशिश कर दी है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना पूरा फोकस सवर्ण जातियों पर रखा है। पार्टी की ओर से जिन 17 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया गया है उनमें से 10 अगड़ी जाति से आते हैं। बिहार जैसे राज्य में 17 में से 10 सीटों पर अगड़ी जाति के उम्मीदवारों को उतारना एक बड़ा साहसिक फैसला माना जा सकता है। हालांकि भाजपा की सहयोगी जदयू ने ज्यादातर सीटों पर पिछड़े वर्गों को महत्व दिया है। 

बिहार में देखें तो राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ जाति अगड़ी में आते हैं। बीजेपी ने 17 में से 10 सीटों पर सवर्ण जातियों को टिकट दिए हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा अहमियत राजपूत समुदाय को दी गई है। बीजेपी ने राजपूत समुदाय से औरंगाबाद सीट से सुशील कुमार सिंह, आरा सीट से आरके सिंह, सारण सीट से राजीव प्रताप रूडी, महाराजगंज से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और पूर्वी चंपारण सीट से राधा मोहन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह भाजपा ने मिथिलेश तिवारी को बक्सर और दरभंगा से गोपाल जी ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। यह दोनों ब्राह्मण समुदाय से आते हैं जबकि भूमिहार समाज से आने वाले गिरिराज सिंह को बेगूसराय से और नवादा से विवेक ठाकुर को टिकट दिया गया है। पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद उम्मीदवार है जो कायस्थ समाज से आते हैं।

बिहार में भाजपा ने एम से पूरी तरीके से दूरी बना ली है। एम में आप मुस्लिम और महिला दोनों को ले सकते हैं। बिहार में भाजपा की ओर से एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं दिया गया है। ना हीं महिला प्रत्याशी दिया गया है। शिवहर से भाजपा सांसद रही रामा देवी का टिकट काट दिया गया है। हालांकि, वाई यानी कि यादवों को काफी महत्व दिया गया है। भाजपा ने तीन यादव उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें उजियारपुर से नित्यानंद राय, पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव और मधुबनी से अशोक यादव का नाम शामिल है। यह तीन 2019 में भी सांसद बने थे। यह कहीं ना कहीं लालू यादव के यादव वोट बैंक में सेंधमारी की एक कोशिश है। बिहार में 16 फ़ीसदी यादव मतदाता हैं।

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