उपेक्षा के चलते जर्जर मार्ग से निकलने को मजबूर है राहगीर 

उपेक्षा के चलते जर्जर मार्ग से निकलने को मजबूर है राहगीर 

पाटन, उन्नाव। प्रशासनिक उपेक्षा के चलते आवागमन  बाधित हो रहा है। यह मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। जिस पर वाहन की कौन कहे पैदल चलना दूभर हो रहा है और आए दिन दुर्घटनाओं को दावत दे रहा है। उन्नाव रायबरेली मुख्य मार्ग से निर्गत होकर खीरो व रायबरेली तक जाने वाला यह संपर्क मार्ग उन्नाव रायबरेली जनपद की दो सीमाओं को जोड़ता है। सीमावर्ती मार्ग की लंबाई लगभग 6 किलोमीटर है जबकि पूरे मार्ग की लंबाई 50 किलोमीटर है मार्ग  पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। मार्ग पर बचे अवशेषों से यह अवश्य जाहिर होता है कि यह मार्ग कभी डामर युक्त मार्ग था। यही नहीं मार्ग पर बड़े-बड़े गहरे गड्ढे हो जाने के कारण रात के अंधेरे में आवागमन के लिए मौत का सबक बना हैं।
 
अनवरत समाचार पत्रों व जनप्रतिनिधियों से व्यक्तिगत शिकायत के बाद भी मार्ग को अब तक आवागमन के लायक नहीं बनाया गया है। जिससे आए दिन इन गढ्ढो में गिरकर राहगीर चोटहिल हो रहे हैं। मामूली सी बरसात में  मार्ग पर बने गड्ढे  किसी पोखर से कम नजर नहीं आते है। स्थिति यह है कि मार्ग पर गड्ढे हैं या गढ़ों में मार्ग है। मार्ग की जर्जर स्थिति को लेकर क्षेत्र के पूर्व प्रधान समर बहादुर सिंह,  प्रधान गुड्डू यादव, मोहनलाल एडवोकेट, पंकज मिश्रा, राजेश शर्मा, अजय मिश्रा, अर्पित सिंह, शक्ति सिंह, बबलू मिस्त्री, भगवान  सिंह ने अविलंब मार्ग को आवागमन हेतु बनाए जाने की गुहार शासन प्रशासन से की है।
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