एम्स गोरखपुर ने मासिक धर्म की अनियमितता पर COVID-19 टीकाकरण की समाचार रिपोर्ट को किया खारिज

एम्स गोरखपुर ने मासिक धर्म की अनियमितता पर COVID-19 टीकाकरण की समाचार रिपोर्ट को किया खारिज

×गोरखपुर,COVID-19 टीकाकरण के प्रभाव से सबंधित मासिक धर्म चक्र की अनियमितताओं पर समाचारपत्र (हिंदुस्कान) में दिनांक 19 मई, 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट एग्स गोरखपुर के फिजियोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. चारुशीला रुकादिकर की व्यक्तिगत राय है और यह एम्स गोरखपुर की राय नहीं है, एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने कहा।

एम्स गोरखपुर इस समाधार के प्रकाशन की जिम्मेदारी नहीं लेता है क्योंकि नाही रिपोर्ट को प्रकाशन से पहले एम्स प्राधिकरण के लिए उपलब्ध कराया गया था और नाही डॉ. चारुशीला को ऐसी प्रेस साक्षात्कार के लिए प्राधिकरण द्वारा स्खीकृति दी गई थी, डॉ. पाल ने कहा।
1. अध्ययन का शीर्षक जो कि जर्नल करेंट ड्रग रिसर्च रिव्यूज में प्रकाशित हुआ है "प्रजनन आयु की महिलाओं के मासिक धर्म चक्र पर COVID-19 टीकाकरण का प्रभाव; एक बहु केंद्रित अवलोकनात्मक अध्ययन", जिसमें अध्ययन का उद्देश्ा मासिक धर्म चक्र पर COVID-19 टीकाकरण के प्रभावों की जांच करना और प्राप्स टीके के प्रकार के साथ संबंध स्थापित करना था। यह एक अवलोकनात्मक सर्वेक्षण है, यह कारण और प्रभाव संबंध विश्लेषण में नहीं जाता है और किसी भी निष्कर्ष के एटीओलॉजिकल प्रभावों पर राय नहीं देनी चाहिए। इसलिए रागाचार में प्रकाशित रिपोर्ट कि COVID-19 टीकाकरण महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितताओं को प्रभावित कर रहा है, यह उपयुक्त नहीं है क्योंकि अध्ययन की रूपरेखा इस तरह के निर्णायक निष्कर्ष की अनुमति नहीं देता है। ऐसे कई कारण हैं जिनसे मासिक धर्म की अनियमितताएं हो सकती हैं। COVID-19 के दौरान, बीमारी के कारण अलगाव के तनाव और जीवनशैली में बदलाव, वित्तीय आय में कमी का तनाव, COVID-19 संक्रमण के भय का तनाव, परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों/करीबी दोस्तों के COVID से पीड़ित होने का तनाव, करीबी लोगों की हानि और उनके खोने का भए, ये कुछ ऐसे वर्ड

कारणों में से हैं जिनके परिणामस्वरूप COVID-19 के दौरान मासिक धर्म की अनियमितताएं हो सकती है। इस अध्ययन में इन सभी मिश्रण कारकों के मासिक धर्म चक्र की अनियमितताओं पर प्रभाव को सांख्यिकीय रूप से अलग नहीं किया गया था। इसलिए एम्स गोरखपुर के व्यक्तिगत संकाय द्वारा प्रकाशित समाचार रिपोर्ट टीकाकरण के कारण ही अनियमित मासिक धर्म चक्र की पुष्टि नहीं करती है।

2. इसके अलावा, यह एक प्रश्नावली आधारित सर्वेक्षण है, न कि एक शुद्ध शोध। इस सर्वेक्षण में 5709 प्रतिभागियों में से केवल 333 (5.8%) प्रतिभागियों में मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं थीं। इसके अलावा, इस सर्वेक्षण में गैर-टीकाकृत या पूर्व-टीकाकृत महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितताओं का आकलन करने के लिए कोई नियंत्रण समूह नहीं था, ताकि टीकाकरण के मासिक धर्म की अनियमितताओं पर प्रभाव को सही ठहराया जा सके। इसलिए समाचारपत्र में रिपोर्ट की गई COVID-19 टीकाकरण के परिणामस्वरूप प्रजनन आयु समूह की महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता की व्याख्खा पक्षपाती और निराधार है।

3. जैसे कि मासिक धर्म की अनियमितताएं प्रजनन आयु की महिलाओं की सामान्य आबादी में 15% से अधिक प्रचलित बताई गई हैं, जो कि कई प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसलिए, वह अध्ययन COVID-19 टीकाकरण द्वारा 5.8% मासिक धर्म की अनियमितता की रिपोर्ट कर रहा है, यह अवैज्ञानिक है।

4. भारत में COVID-19 टीकाकरण मध्था-2021 तक पूरा हो चुका था। यह सर्वेक्षण टीकाकरण के डेढ़ साल बाद किया गया है। इसलिए, टीकाकरण के इतने लंबे समय बाद मासिक धर्म की अनियमितताओं का दावा वैज्ञानिक रूप से अनुचित और अर्थहीन है।

एम्स गोरखपुर के निदेशक डॉ. जी. के. पाल ने जोर देकर कहा कि संस्थान डॉ. चारुशीला रुकादिकर द्वारा इस समाचार के प्रकाशन को खारिज करता है और संस्थान इस रिपोर्ट से पूरी तरह से दूरी बनाता हैं,

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