रामकृष्ण मठ में मंत्रोच्चार के साथ हुआ चण्डी का पाठ
सोलह तरह की पूजा सामग्रियों से ईश्वर का किया आवाहन
By Harshit
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- देवी स्तुति के बाद भक्तों ने ग्रहण किया प्रसाद
वहीं सर्वजीत सिंह ने मधुर स्वर में भजनों की एक श्रृंखला की प्रस्तुति दी उस दौरान तबले पर सुमित मल्लिक ने संगत दिया। इस अवसर पर प्रभु को पुष्पांजलि अर्पित कर उनका आर्शिवाद प्राप्त किया गया। कार्यक्रम में देवी की स्तुति के साथ भक्तगणों के मध्य अन्नपूर्णा हॉल में प्रसाद वितरित किया गया। इसी क्रम में स्वामी मुक्तिनाथानन्द महाराज द्वारा रामचरित मानस के अनुसार राम के जन्म कथा विषय पर प्रवचन दिया गया।
उन्होंने कहा कि रावण ने घोर तपस्या करने के बाद भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि कोई भी देवता, दानव, गंधर्व आदि उसे मार नहीं सकेगा। इस प्रकार वह सर्व शक्तिशाली बन गया और उसने देवों पर अधिकार कर लिया और पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल लोक पर शासन किया। उनके अहंकार और वर्चस्व से डरकर सभी देवता मुक्ति के लिए भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे।
वे सभी भगवान विष्णु के पास गए जिन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि वह एक मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर जन्म लेंगे और रावण का विनाश करके पृथ्वी पर शांति और धार्मिकता स्थापित करेंगे। उन्होंने बताया कि दशरथ अयोध्या के राजा और इक्ष्वाकु वंश के वंशज थे। हालाँकि उनकी तीन रानियाँ कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी थीं, उनके गुरु, ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें पुत्रकामेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी।
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