रजा लाइब्रेरी में मौजूद पांडुलिपियां और मसनवियां बहुत महत्वपूर्ण हैं:हैली स्वानसन
उर्दू–फारसी पांडुलिपियों के अध्ययन के लिए रामपुर आईं ब्रिटिश शोधकर्ता।
नूर महल में पूर्व सांसद बेगम नूरबानो और पूर्व मंत्री नवेद मियां से मिलीं ब्रिटिश शोधकर्ता।
रामपुर।ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और कोलंबिया विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल कर लंदन की हैली स्वानसन ने उर्दू–फ़ारसी,सूफी साहित्य,संस्कृति,पांडुलिपि व इस्लामी अध्ययन की राह चुनी है।ऐसे ही शोध के लिए वो रामपुर रजा लाइब्रेरी पहुंचीं।यहां मौजूद पांडुलिपियों और उर्दू–फारसी साहित्य ने उन्हें बहुत प्रभावित किया।ब्रिटिश शोधकर्ता हैली स्वानसन का बृहस्पतिवार को नूर महल में पूर्व सांसद बेगम नूरबानो,पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटेक) रुहेलखंड चैप्टर के सह संयोजक काशिफ खां ने स्वागत किया।यहां हुई लंबी चर्चा में हैली स्वानसन ने बताया कि वो इंडो–फारसी पांडुलिपियों पर शोध कर रही हैं।रजा लाइब्रेरी में मौजूद पांडुलिपियां और मसनवियां बहुत महत्वपूर्ण हैं।ब्रिटिश रिसर्च स्कॉलर पटना,हैदराबाद और कोलकाता के पुस्तकालयों में भी जाएंगी।वो मई में एक बार फिर रामपुर आएंगी।पूर्व सांसद बेगम नूरबानो ने हैली स्वानसन को रजा लाइब्रेरी में मौजूद लोहारू कलेक्शन के बारे में बताया।ब्रिटिश शोधकर्ता यह जानकर आश्चर्यचकित रह गईं कि बेगम नूरबानो को दहेज में हजारों किताबें मिली थीं।