नेपाल ने भैरहवा विमान स्थल के लिए भारत से हवाई रूट देने की मांग दोहराई

 नेपाल ने भैरहवा विमान स्थल के लिए भारत से हवाई रूट देने की मांग दोहराई

 । भैरहवा स्थित गौतम बुद्ध अन्तरराष्ट्रीय विमान स्थल के संचालन के लिए नेपाल ने एक बार फिर भारत से अपना हवाई रूट उपलब्ध कराने की मांग की है। इस विमान स्थल के तैयार होने के दो साल बाद भी इसका नियमित संचालन नहीं हो पाया है।

लुम्बिनी में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित नेपाल भारत सांस्कृतिक महोत्सव का उद्घाटन करते हुए नागरिक उड्डययन तथा संस्कृति मंत्री सुदन किरांती ने कहा कि गौतम बुद्ध अन्तरराष्ट्रीय विमान स्थल के संचालन के लिए भारत को हवाई रूट देने को लेकर पुनर्विचार करना चाहिए। नेपाल के लिए भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव की उपस्थिति में मंत्री किरांती ने कहा कि भारत की सहमति और हवाई रूट के बिना इस विमान स्थल का संचालन संभव नहीं है, इसलिए हवाई रूट को लेकर भारत के सकारात्मक जवाब की प्रतीक्षा है।
नेपाल भारत के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देते हुए नेपाल के संस्कृति मंत्री ने कहा कि गौतम बुद्ध की जन्मस्थली पर पर्यटकों की संख्या बढ़ाने और विश्व के कई देशों से पर्यटकों को सीधे लुम्बिनी से जोड़ने के लिए इस अन्तरराष्ट्रीय विमान स्थल का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि नेपाल की जनता, नेपाल की सरकार के तरफ से भारत सरकार से यह आग्रह है कि हवाई रूट देने को लेकर सकारात्मक रूप से विचार करे।

जवाब में भारतीय राजदूत ने नेपाल के चौतरफा विकास में भारत के योगदान का जिक्र तो किया पर विमान स्थल के लिए हवाई रूट को लेकर कुछ भी नहीं कहा। गौरतलब है कि गौतम बुद्ध अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल का निर्माण चीन द्वारा किया गया है।

इस विमान स्थल के निर्माण से पूर्व ना तो नेपाल सरकार की तरफ से भारत को औपचारिक रूप से जानकारी दी गई थी और ना ही भारत से हवाई रूट को लेकर स्वीकृति ही ली गई थी। इस विमान स्थल के बहुत ही करीब उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भारतीय थलसेना और वायुसेना का बेस होने के कारण भारत के लिए यह हवाई रूट उपलब्ध कराना देश की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। इसके अलावा चीनी ठेकेदार कंपनी ने इस विमान स्थल पर कुछ ऐसे आपत्तिजनक उपकरण लगाए हुए हैं, जहां से भारतीय सेना की संवेदनशील जानकारियां उन्हें मिल सकती है।

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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