बड़ा तो पीता ही था.. अब छोटा भी पीने लगा : माया अम्मा
नई दिल्ली/ गाजियाबाद, ( तरूणमित्र )
दिलशाद गार्डन मेट्रो स्टेशन स्थित माया अम्मा अपनी शरबत की ठेली लगाती हैं माया अम्मा ने जनसेवक निगार फ़ारुखी को बताया कभी-कभी तो सब्ज़ी तक ख़रीदने के पैसे नहीं निकल पाते ढाई सौ रुपये किलो नींबू, सब्ज़ी वाला आधा किलो से कम नींबू देता नहीं है ,खपत नहीं होती तो ख़राब हो कर जाता है 20, रूपये का गिलास देती हैं बर्फ़ का ख़र्चा और ऐसे ठेली पटरी वालों पर पुलिस भी अपना प्यार लुटाती रहती है मतलब साफ है कि पुलिस का रवैया ठीक नहीं है, माया अम्मा ने बताया उनके दो बेटे हैं, पहले बड़ा शराब पीता था..एक के साथ एक फ्री़ होने की वजह से छोटा भी पीने लगा, अब पेट तो किसी का सगा नहीं इसे तो तीन वक़्त चाहिए चाहिए। भूख के लिए धूप से लड़ना है ख़ून जलाना है। दिल्ली सरकार के मंत्र को कांफ़्रेंस करना है इस पर आरोप लगाना है उस पर आरोप लगाना है और फिर चले जाना है, दिल्ली सरकार के सकूलों मे बच्चों को कॉपी किताब तक नहीं उपलब्ध कराई जा रहीं दिल्ली में कई जगह पानी की कितनी क़िल्लत है लेकिन मंत्रियों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से फ़ुर्सत मिले तो अपने विभाग का काम देखें प्रेस कॉन्फ्रेंस करना आरोप लगाना यही उनका एकमात्र काम है, और यह कोई नई बात नहीं है सच कहूँ तो सरकारी अमले की अनदेखी आम बात है और इसी अनदेखी के चलते असल बात तो ये है कि पानी की वजह से विश्वास नगर मे मर्डर न होता। "ऐ ख़ाक नशीनों उठ बैठो वो वक़्त क़रीब आ पहुंचा है जब तख्त गिराए जाएंगे जब ताज उछाले जाएंगे"।