कांग्रेस ने बढ़ा दी ओवैसी की टेंशन

कांग्रेस ने बढ़ा दी ओवैसी की टेंशन

हैदराबाद : इस लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत की सबसे चर्चित सीटों में से एक सीट हैदराबाद भी है. इसी बीच कांग्रेस ने हैदराबाद लोकसभा सीट से आईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. पार्टी ने हैदराबाद से मोहम्मद वलीउल्लाह समीर को अपना प्रत्याशी चुना है. वलीउल्लाह समीर हैदराबाद कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष हैं. इस ऐलान के बाद ही चुनावी एक्सपर्ट नफा नुकसान के आकलन में जुट गए हैं. इसका बड़ा कारण यह भी है कि यहां से बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता की भी काफी चर्चा है.


असल में हैदराबाद सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट है और यहां लंबे समय से ओवैसी परिवार का दबदबा रहा है. चुनावी एक्सपर्ट्स का मानना था कि अगर कांग्रेस ने मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार उतारा तो ओवैसी के लिए  मुश्किल हो जाएगी. फिलहाल कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है. अब देखना होगा कि चुनावी समर में यह कदम किसके लिए फायदेमंद और नुकसानदेह साबित होने वाला है.

सबसे चुनौतीपूर्ण सीटों में से एक..
यह बात सही है कि हैदराबाद संसदीय क्षेत्र दक्षिण भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण सीटों में से एक है. वहां से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ही सांसद हैं. जमीनी स्तर पर एआईएमआईएम प्रमुख की वहां मजबूत पकड़ मानी जाती है. असदुद्दीन ओवैसी ने इस सीट पर 2004 से लगातार चार बार जीत हासिल की है. इस बार तो ओवैसी ने शुरू से ही काफी तगड़ी रणनीति अपनाई है. उन्होंने अपने साथ बैकअप के तौर पर अकबरुद्दीन ओवैसी का नामांकन भी कराया है.

शुरू से ही काफी तगड़ी रणनीति..
ओवैसी ने ऐसा इसलिए किया गया है ताकि अगर किसी कारण से असदुद्दीन ओवैसी का नामांकन खारिज हो जाता है, तो पार्टी के पास बैकअप के तौर पर अकबरुद्दीन ओवैसी का नामांकन मौजूद रहेगा और पार्टी का एक उम्मीदवार चुनाव में बना रहेगा. हैदराबाद लोकसभा सीट पर अब तक कुल 17 चुनाव हुए हैं जिसमें अकेले ओवैसी परिवार ने दस बार जीत हासिल की है. केवल सात बार ही अन्य उम्मीदवारों को जीतने का मौका मिला है. 
असदुद्दीन ने चार चुनाव जीते..
हैदराबाद लोकसभा सीट पर 1980 में कांग्रेस को आखिरी बार जीत मिली थी इसके अलगे चुनाव में असदुद्दीन के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने पहली बार कांग्रेस की जीत के सिलसिले को तोड़ा था. उसके बाद से किसी भी दल को लगातार जीत नहीं मिली. सलाहुद्दीन ने लगातार छह चुनाव जीते और असदुद्दीन ने चार चुनाव जीते.

 माधवी लता पर भरोसा?
उधर बीजेपी ने इस बार तेज तर्रार माधवी लता पर भरोसा जताया है. माधवी प्रखर हिंदू नेता के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं वे गौशाला चलाती हैं साथ ही स्लम बस्तियों की मुस्लिम महिलाओं की मदद भी करती हैं. शरू से ही वे ओवैसी पर हमलावर हैं. अब देखना होगा कि चुनावी समर किस तरह से आगे बढ़ता है. 

 

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