
पूर्वी चम्पारण। ग्राम पंचायत नरवर के मुखिया दुर्गावती देवी ने कहीं बड़ी बात दुनिया में अगर महिला मानवाधिकारों! का पालन ही ईमानदारी से होने लगे तो महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त होने से कोई भी नहीं रोक सकता।21वीं सदी में भी अपने अधिकारों से वंचित महिलाओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त की।महज कानून बना देने से महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं हो जाएगा,इसके लिए खुद भी उन्हें प्रयास करना होगा।समस्याएं जड़ से नहीं ख़त्म हो जातीं. दहेज़ प्रथा, जाति प्रथा और न जाने कितनी बुराइयों के ख़िलाफ़ कड़े क़ानून बने है लेकिन क्या ये ख़त्म हो गए.भ्रष्टाचार को लेकर आम लोगों की नाराज़गी भी किसी से छुपी नहीं है लेकिन एक ऐसा माहौल बन रहा है जिसमें कोई अपनी आलोचना बर्दाश्त करने को तैयार नहीं.सशक्तिकरण की बात खूब बुलंद किए जाते है।
सरकार ने महिला को सबल और सशक्त बनाने के लिए 50 फीसद आरक्षण भी दिया। लेकिन इस सदी में भी महिला घरेलू कामकाज में ही सिमट कर रह गई है। न तो आरक्षण का सही मायनों में फायदा दिख रहा है और न ही महिला सशक्तीकरण की बात। आरक्षण के बल पर महिलाओं के सिर पर मुखिया,सरपंच व समिति का ताज तो सज जाता है, लेकिन पंचायत में उनकी भागीदारी शो-पीस से अधिक कुछ नहीं। ऐसी ही स्थिति ज्यादातर त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में देखने को मिलती है।मैं पंचायत में सर्वांगीण विकास करने के लिए प्रतिबद्ध हूं मैं चाहती हूं कि महिला हर क्षेत्र में पुरुष से आगे हो। मेरे मुखिया बनने में मेरे पति मेजर महेंद्र सिंह ने अहम भूमिका निभाई ताकि पंचायत के कायाकल्प हो सके उन्होंने सेना में रहकर देश की सेवा की समाज में रहने वाला हर व्यक्ति अपने परिवार के लालन पालन के लिए कोई ना कोई नौकरी करता है. लेकिन निश्चित रुप से जो लोग आर्मी के रुप में सेवा करते है वो ना केवल उस परिवार के लिए महत्वपुर्ण होते है लेकिन पुरे समाज व देश के लिए महत्वपुर्ण होते है। नरवर पंचायत के लोगों ने उनकी भावना को कदर करते हुए हमारी जैसे महिला को बहुमूल्य वोट देकर जिताने का काम किया मैं सभी मतदाता बंधुओं को धन्यवाद देना चाहती हूं मैं उन लोगों के विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास करूंगी।