चैत्र नवरात्रि 2025 – एक पावन उत्सव

चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में आने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो माँ दुर्गा और उनके नौ रूपों की उपासना के लिए समर्पित है। यह नववर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है, विशेषकर उत्तर भारत में।

कलश स्थापना – शुभारंभ का प्रतीक

पहला दिन 'कलश स्थापना' से शुरू होता है, जिसे शुभ मुहूर्त में किया जाता है। इस दिन जल से भरे कलश को आम के पत्तों और नारियल से सजाकर देवी के आह्वान के लिए स्थापित किया जाता है।

नवरात्रि व्रत और पारंपरिक आहार

नवरात्रि में सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है, जिसमें कुट्टू, सिंघाड़े का आटा, साबुदाना और सेंधा नमक शामिल हैं। इस दौरान उपवास का उद्देश्य शरीर को शुद्ध करना और आत्मिक साधना को बढ़ावा देना है।

नवरात्रि के नौ रंगों का महत्व

नवरात्रि में हर दिन एक विशेष रंग का महत्व होता है, जो देवी के अलग-अलग स्वरूपों का प्रतीक है। जैसे, पहला दिन – लाल (शक्ति), दूसरा दिन – शाही नीला (शांति), तीसरा दिन – पीला (सौभाग्य) आदि।

पूजा विधि और धार्मिक अनुष्ठान

इस दौरान घरों और मंदिरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ, अखंड ज्योति प्रज्वलन, और कन्या पूजन के साथ साथ भजन-कीर्तन और जगराते भी होते हैं।

आध्यात्मिक - सांस्कृतिक महत्व

चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिंदू नववर्ष, गुढ़ी पड़वा (महाराष्ट्र) और उगादि (दक्षिण भारत) मनाए जाते हैं। यह पर्व भारतीय संस्कृति में आत्म-संयम, आस्था और नवीनीकरण का संदेश देता है।

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