2011 में शुरू हुआ सीरिया का गृहयुद्ध 2024 में बशर अल-असद की सत्ता के अंत के साथ अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंचा। इस 13 साल लंबे संघर्ष ने लाखों लोगों की जान ले ली और करोड़ों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
बशर अल-असद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गए। सरकारी दमन ने इसे हथियारबंद विद्रोह में बदल दिया, जिसे तुर्किये और पश्चिमी देशों का समर्थन मिला।
इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) ने रक्का और अन्य क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। अमेरिका के नेतृत्व में गठबंधन ने हवाई हमले शुरू किए, जबकि कुर्द बलों ने आईएसआईएस को रोकने में अहम भूमिका निभाई।
रूस ने असद का समर्थन करते हुए हवाई हमले शुरू किए। इससे युद्ध का रुख असद के पक्ष में बदल गया, और विद्रोहियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
विद्रोहियों ने अलेप्पो और दमिश्क पर कब्जा कर लिया। असद के सहयोगियों की अनुपस्थिति में उनकी सेना ढह गई, और असद को सत्ता छोड़कर भागना पड़ा।
इज़राइल ने गोलन हाइट्स पर नियंत्रण बढ़ाया। तुर्किये में शरण लिए लाखों सीरियाई शरणार्थियों ने अपने घर लौटने की उम्मीद जताई। हालांकि, तुर्किये और विद्रोही समूहों के बीच जटिल संबंधों ने संघर्ष को और पेचीदा बना दिया।
सीरिया में शांति और नई सत्ता संरचना स्थापित करना मुश्किल है। कुर्द बलों और तुर्किये के बीच तनाव बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा है।
सवाल यह है कि क्या असद के पतन ने सीरिया को नई शुरुआत का मौका दिया है, लेकिन शांति और स्थायित्व के रास्ते में कई बाधाएं हैं। क्या यह बदलाव स्थायी शांति लाएगा या नई समस्याएं? यह भविष्य तय करेगा।
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