दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान बहराइच में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जिसमें 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की मौत और कई लोग घायल हुए। शहर में तनाव बरकरार, इंटरनेट सेवाएं निलंबित।
अब तक 55 लोग हिरासत में और 11 मामले दर्ज। क्या प्रशासन की शुरुआती तैयारियों में कमी थी? भारी पुलिस बल तैनात, मगर क्या यह घटना टाली जा सकती थी?
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि खुफिया विभाग संवेदनशीलता का सही आंकलन नहीं कर पाया। भीड़ के हथियारों से लैस होने और तेज़ी से इकट्ठा होने से पूर्व-योजना का शक गहरा हुआ।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो व ऑडियो फैलाने वालों की जांच शुरू कर दी है। अब तक कुल 60 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
पांच आरोपी गिरफ्तार, जिनमें से दो पुलिस एनकाउंटर में घायल। नेपाल भागने की फिराक में थे। क्या ये एनकाउंटर कानून व्यवस्था संभालने की मजबूरी थे या प्रशासन की रणनीति पर सवाल?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "नाकामी छुपाने के लिए एनकाउंटर हो रहे हैं। यह बांटो और राज करो की नीति है।" उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को लेकर सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए।
स्थिति को सामान्य बनाने के लिए पुलिस और प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए उच्च स्तरीय जांच और मुआवजे की घोषणा की गई है।
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