हृदयरोग से पीड़ित दो बच्चों को इलाज के लिए भेजा गया पटना

 हृदयरोग से पीड़ित दो बच्चों को इलाज के लिए भेजा गया पटना

किशनगंज । राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) द्वारा शुक्रवार को जिले के 02 हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का निःशुल्क जांच और इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल से एम्बुलेंस के माध्यम से पटना रेफर किया गया है। वहां बच्चों का आइजीआइएमएस में जांच किया जाएगा। डाक्टरों की जांच के बाद प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर बच्चों का इलाज भी उसी अस्पताल द्वारा निःशुल्क किया जाएगा। विशेष परिस्थितियां होने पर बच्चों को बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफर किया जा सकता है।

सिविल सर्जन डा. मंजर आलम ने बताया कि जिले के पोठिया प्रखंड के 02 बच्चों को आरबीएसके टीम द्वारा स्क्रीनिंग के लिए चिह्नित कर एम्स और आइजीआइएमएस पटना भेजा गया है, जिसमें जाकिया सुल्ताना तथा मंसूर रहमान को हृदय जांच के लिए आइजीआइएमएस, पटना भेजा गया है।

सिविल सर्जन ने बताया कि सभी बच्चे को आने-जाने समेत सभी सुविधाएं यानी समुचित इलाज की सुविधाएं पूरी तरह मुफ्त मिलेगी। सभी बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों का भी आने जाने का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। सिविल सर्जन ने बताया कि जन्म से ही हृदय रोग से पीड़ित बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है। हमेशा सर्दी-खांसी रहती है। चेहरे, हाथ, होंठ नीला पड़ने लगता है। जिसके कारण गंभीर होने पर बच्चों के दिल में छेद हो जाता है। ऐसे बच्चों का आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) द्वारा इलाज कराया जाता है।

आरबीएसके डीआईसी प्रबंधक सह जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें विशेष इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए जिले में आरबीएसके की टीम कार्यरत हैं। जिस प्रखंड में गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चे की जानकारी प्राप्त होती है वहां आरबीएसके की टीम द्वारा बच्चों को प्रारंभिक जांच के लिए जिला में लाया जाता है। यहां बीमारी की पहचान होने पर इसकी जानकारी जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से राज्य स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाता है। वहां से संबंधित बीमारी के उपचार के लिए विशेषज्ञ अस्पताल को सूचित किया जाता है जहां तिथि निर्धारित होने पर बच्चों को टीम द्वारा फ्री एम्बुलेंस के माध्यम से पटना रेफर किया जाता है। बच्चे की जांच के बाद चिकित्सक द्वारा संबंधित बीमारी का विश्लेषण किया जाता है। इसके बाद ऑपरेशन की स्थिति में बच्चे को परिजनों के साथ फिर से पटना भेजा जाता है जहां उन्हें होने वाले सभी इलाज व्यवस्था मुहैया कराए जाते हैं।

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