भोजन की सीमा है, लेकिन भजन की नहीं : वियोगी महाराज
ब्रजेश त्रिपाठी
प्रतापगढ़। भगवान का भजन करने का हर प्रयत्न व जतन करना चाहिए। भागवत कथा, राम कथा, शिव कथा जैसी कथाओं को सुनने के लिए कोई सीमा नहीं है। कोई इसकी संख्या नहीं कि कितनी बार सुना जाए। जब भी अवसर मिले जरूर सुनना चाहिए। भोजन की सीमा है भजन की नहीं। यह बात कथा व्यास पं. अवध नारायण शुक्ल वियोगी महराज ने मीरा भवन के पास गोकुल लान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कही। उन्होंने कहा कि भगवान का नाम किसी भी रूप में लेने से कल्याण होता है। कलयुग में भगवान का नाम लेने से ही कल्याण है।
हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। बच्चों को अच्छे संस्कार देने चाहिए। भागवत महापुराण कर्म, संस्कार, भक्ति, वैराग्य और ज्ञान का मिला-जुला स्वरूप है। यह पुराण पुराणों का शिरोमणि है। इससे बड़ा कोई पुराण नहीं है। भागवत महापुराण साक्षात भगवान कृष्ण का स्वरूप है। कथा व्यास वियोगी महाराज ने संकीर्तन करते हुए वृंदावन की महिमा भी बताई। संकीर्तन कराया...वृंदावन जाने को जी चाहता है, राधे-राधे गाने को जी चाहता है। उन्होंने धुंधकारी की कथा बताते हुए कहा कि प्रेत आत्मा से मुक्ति की क्षमता केवल भागवत कथा में है।
इसलिए संतों का दर्शन और भगवान की कथा में जाने का अवसर प्रभु की कृपा से ही प्राप्त होता है इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डा. श्याम शंकर शुक्ल श्याम, गीतकार सुनील प्रभाकर, एलआईसी के पूर्व अधिकारी शारदा प्रसाद शुक्ल, न्यू इंडिया के जगदीश प्रसाद पांडेय, पूर्व बीडीसी सुरेश पांडेय, व्यवसायी संदीप पंकज त्रिपाठी सोहगौरा, रामकृष्णाचार्य रामानुजाचार्य आदि मौजूद रहे भागवत भगवान की आरती के बाद सभी को प्रसाद का वितरण किया गया।
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