अबैध खनन , ओवरलोडिंग की नहीं थमी रफ्तार
बरियारी,मरौली खंड 5 व खप्टीहा 356/1 जारी है अबैध खनन।
बांदा - जनपद में संचालित लगातार खनन कारोबार से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। लेकिन खनिज विभाग ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा को दरकिनार कर खनन कारोबारियों बेखौफ ओवरलोडिंग व अबैध खनन की खुली छूट दे रखी है। खनिज अधिकारी का मौजूदा समय हाल यह है कि मीडिया द्वारा खनन संक्रियाये से सम्बंधित कोई भी जानकारी साझा ना करना पड़े और शिकायत पर कार्रवाई करनी पड़े। इसके लिए मीडिया से दूरी बना ली है और सभी सम्पर्क खत्म कर दिया है। नरैनी तहसील क्षेत्र बारियारी खदान ,सदर तहसील में मरौली खंड 5, पैलानी तहसील की खप्टीहा 356/1 व अन्य में सीमांकन से बाहर केन नदी में हैवीवेट मशीनरी से मानकों से अधिक गहराई तक खनन कर जमकर ओवरलोडिंग जारी है। इसके अलावा बिना मानक के ओवरलोड ट्रकों से कई स्थानों पर विशालकाय बालू भण्डारण भी जारी है। जिसकी सुचारू रूप से नाप जोख भण्डारण में डाली गई बालू का रव्वन्नै और तय भण्डारण क्षमता का पुरसाहाल लेने में कोई रुचि नहीं है। इसके बावजूद भण्डारण शुरू है । ऐसे ही हालात पिछले मानसून सत्र से शुरू हुई खदानों में भी छापेमारी की कार्रवाई जब हुईं जब या तो व्यापारी ने खनिज विभाग में हाजरी लगाने में लापरवाही बरती या फिर बहुत ज्यादा हो-हल्ला मीडिया,जनप्रतिनिधि,सामाजिक कार्यकर्ता व अन्य ग्रामीणों द्वारा मचाया गया। लेकिन संजीव गुप्ता व शैलेन्द्र कुमार जैसे कारोबारियों का रसूख इतना बड़ा है कि लगातार इनके विरुद्ध बहुत से माध्यमों से अवैध खनन, ओवरलोडिंग, अनियमितता की लिखित शिकायते क्षेत्रीय प्रशासनिक अफसरों से लेकर उच्चाधिकारियों तक हुई। उसके बाद भी खनिज विभाग ने करोड़ों रुपए राजस्व क्षति पूर्ति को पूरा करने के लिए जांच कर जुर्माना लगाने से कन्नी काट ली। जिससे कयासों का बाजार गर्म हो गया कुछ खनन ठेकेदार ने यहां तक आरोप लगाया कि संजीव गुप्ता का खनिज विभाग के अधिकारियों से व्यापारिक सांठगांठ है। इसके अलावा अपने गृह जनपद के बड़े सफेद पोश से आशीर्वाद के दम पर ही उपयोगिता के अनुसार काली कमाई की हिस्सेदारी बांटकर बेलगाम ओवरलोडिंग व अबैध खनन का खेल जारी किए है। वहीं क्षेत्रीय किसान व ग्रामीण उसके पावरफुल मेनेजमेंट से भय के कारण प्रत्यक्ष रूप सामने आकर विरोध करने से गुरेज करते हैं क्योंकि पहले की शिकायतों पर भी उनको कोई राहत नहीं मिली है।
कुछ ऐसा ही हाल पैलानी तहसील क्षेत्र में स्थित खप्टीहा 356/1 खदान का भी है जहां पट्टधारक व संचालक ने एनजीटी शर्तों, खनन निर्देश व परिवहन नियमों मजाक बना दिया है। सम्बंधित क्षेत्रीय प्रशासनिक अफसरों, खनिज व परिवहन विभाग द्वारा इस ओवरलोडिंग व अबैध खनन की रफ्तार को रोकने में कोई ठोस कदम नहीं उठाए। जिससे लगातार नदियों का जलस्तर घट रहा है और भयंकर जलसंकट का खतरा पैदा हो गया है। वहीं जलवायु परिवर्तन की बात की जाएं तो लगातार खनिज सम्पदा की विक्री व लूट खसोट से जहां परिस्थितीतंत्र व प्रदूषित वातावरण की सौगात से पूरा जनपद दो चार हो रहा है। उसके बाद भी इसकी रोकथाम में प्रभावी ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। लेकिन जब इसकी जानकारी प्रदेश सरकार के तेजतर्रार मुख्यमंत्री योगी को लगती है तो सारे अधिकारी अरबों रुपए राजस्व क्षति पूर्ति में कुछ लाखों का जुर्माना लगा कर सब कुछ आल इज वेल करने का मायाजाल बुनने में लग जाते हैं। यदि तैनाती से पूर्व की आर्थिक स्थिति और तैनाती के दौरान अर्जित की गई धन सम्पदा का गहन निरीक्षण हुआ तो वास्तविक राजस्व लूट खसोट की हिस्सेदारी का पूरा राज खुल सकता है।
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