हाईकोर्ट पहुंचा उत्तराखंड में यूसीसी का मामला
मेरी जानकारी स्थानीय पुलिस के पास क्यों होनी चाहिए? : हाईकोर्ट
- महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना मकसद: सॉलिसिटर जनरल
- और खराब होगी महिलाओं की स्थिति- ग्रोवर
देहरादून। उत्तराखंड की सरकार ने पिछले महीने ही यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) यानि समान नागरिक संहिता को लागू किया है। यूसीसी के लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर करने सहित कई प्रावधानों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। यूसीसी को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं उत्तराखंड हाई कोर्ट में दायर की गई हैं। ऐसी ही एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां की हैं और सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल से कुछ सवाल भी पूछे हैं। यूसीसी के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाएं डॉ. उमा भट्ट, कमला पंत और मुनीश कुमार की ओर से दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहीं सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने कहा कि यूसीसी के प्रावधान ऐसे हैं, जो किसी के व्यक्तिगत जीवन में दखल देते हैं और पुलिसिंग करते हैं।
ग्रोवर ने कहा, ‘हर सूचना तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन को भेजी जाती है। इस देश में मेरी जानकारी स्थानीय पुलिस के पास क्यों होनी चाहिए?’ इसे लेकर अदालत ने कहा कि पुलिस के द्वारा घर पर जाकर जांच करने को उल्लंघन माना जाता है। अदालत ने कहा, ‘कोई भी पुलिसकर्मी दरवाजा नहीं खटखटा सकता। क्या यूसीसी के तहत पुलिस को यह अधिकार दिया गया है? क्या यूसीसी पुलिस को आपके घर आने की इजाजत देता है?’
ग्रोवर ने तर्क दिया कि पुलिस को कार्रवाई करने का अधिकार है लेकिन यूसीसी के तहत इस कार्रवाई को परिभाषित नहीं किया गया है। ग्रोवर ने कहा, ‘कोई भी शख्स यह शिकायत कर सकता है कि यह व्यक्ति बिना रजिस्ट्रेशन के रह रहा है। यह (यूसीसी) महिलाओं से पूछता है कि क्या वे लिव-इन रिलेशनशिप समाप्त कर रही हैं और क्या वे गर्भवती हैं। बच्चे की जानकारी निजी है और इसे अफसरों और पुलिस के पास नहीं जाने दिया जा सकता। इससे महिलाओं की स्थिति और खराब होगी और उन्हें हर दिन सामाजिक अपमान झेलना पड़ेगा।
लिव-इन रिलेशनशिप को रेगुलेट करने में क्या गलत है? उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पूछा सवाल इस पर बेंच ने सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल से कहा, ‘क्या आप फिर से सुझाव मांग सकते हैं? आप देख सकते हैं कि कहां बदलाव की जरूरत है और क्या हम इसे शामिल कर सकते हैं? आप राज्य के विधानमंडल को जरूरी बदलाव करने के लिए कह सकते हैं?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस पर कोई बयान नहीं दे सकते, लेकिन वह इसकी जांच करेंगे। उन्होंने कहा, ‘सुझाव मांगे गए थे और पूरे विचार-विमर्श के बाद ही ऐसा किया गया था। यूसीसी के हर प्रावधान का कोई उद्देश्य है। मुख्य रूप से, इसका मकसद महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है क्योंकि आमतौर पर वे ही कमजोर पक्ष होती हैं।’अदालत ने मामले में राज्य सरकार से कहा कि वह 1 अप्रैल तक जवाब दाखिल करे।
ग्रोवर ने कहा, ‘सुबह से अदालत के सामने कम से कम 3 से 4 जोड़े सुरक्षा के लिए गुहार लगा चुके हैं क्योंकि उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है। यूसीसी के तहत सामान्य विवाह के रजिस्ट्रेशन के लिए मुझे एक बयान देना होगा और रजिस्ट्रेशन से पहले मेरा यह बयान मेरे माता-पिता के पास जाएगा। अगर यह लिव-इन रिलेशनशिप है, तो इसकी सूचना पुलिस को दी जाएगी। यानी व्यक्तिगत फैसलों की जानकारी पुलिस के पास होगी।
याचिकाकर्ताओं की वकील ने कहा कि यूसीसी को महिलाओं के अधिकार और उनके खिलाफ हिंसा कम करने के नाम पर पेश किया जा रहा है लेकिन इससे ऐसी स्थिति बनेगी, जहां पारिवारिक धमकी और सामाजिक दबाव होगा। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में अभी भी ‘ऑनर क्राइम’ जैसी घटनाएं होती हैं।इस पर बेंच ने पूछा कि रजिस्ट्रेशन में क्या समस्या है? अदालत ने कहा, ‘ज्यादातर मामलों में महिला ही कमजोर स्थिति में होती है, रजिस्ट्रेशन होने पर ऐसे बच्चे को नाजायज नहीं माना जाएगा और उसे परिवार में अधिकार मिलेगा।’
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