इंडिया गठबंधन की उलझन : सिकंदर यादव
गाजियाबाद, ( तरूणमित्र )
पांच राज्यों के चुनाव के बाद जहां भाजपा उत्साहित होकर लोकसभा की तैयारी में लग गई है, 50 फ़ीसदी वोट के लक्ष्य के साथ वहीं विपक्ष का गठबंधन ( I.N.D.I.A )अभी तक मीटिंगों में ही उलझा हुआ है, 80 से कम दिन आम चुनाव में बचे, पर अभी तक सीटों का बंटवारा व नेताओं का चयन नहीं हो पाया है, यही गति रही तो विपक्ष को अपनी चुनावी तैयारी में देर हो जाएगी, और जो वन टू वन लड़ाई का विपक्ष सोच रहा है उसमें बीजेपी गठबंधन को बढ़त, सर्वे भी दिख रहे हैं, जिस प्रकार राम मंदिर आयोजन को एक बड़े इवेंट में बदलने की कोशिश सत्ता पक्ष द्वारा हो रही है, वो उन्हें प्रारम्भिक बढ़त दिला देगा इंडिया गठबंधन को यदि मोदी सरकार को टक्कर देनी है तो उसे युद्ध स्तर पर तैयारी करके सीटों का फार्मूला जल्द से जल्द करना होगा, तीन राज्यों में हुई हार से कांग्रेस अभी तक उभरी नहीं है, क्योंकि परिणाम उसकी उम्मीदों के विपरीत आए हैं, इन नतीजे से कांग्रेस को इतना तो पता लग गया है कि यदि क्षेत्रीय दलों को उसने साथ नहीं लिया तो उसे भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा, क्योंकि तीनों राज्यों में उसे मामूली वोट प्रतिशत से पिछड़ना पड़ा, जहां तक पिछली मीटिंग का सवाल है उसमें एक महत्वपूर्ण सुझाव बसपा को लेकर आया, जिसमें बहन मायावती को इंडिया गठबंधन में शामिल करने की पैरवी कुछ लोगों ने की, ये एक टर्निंग पॉइंट हो सकता है, इंडिया गठबंधन के लिए, क्योंकि उत्तर प्रदेश में भले ही बसपा एक सीट पर हो पर 10 फ़ीसदी वोट आज भी उसके साथ खड़ा है और उत्तर प्रदेश में भाजपा को रोकने के लिए बसपा का इस गठबंधन में आना जरूरी है क्योंकि यदि उत्तर प्रदेश में भाजपा को रोक दिया तो सत्ता पक्ष के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगे, परंतु अभी तक बसपा का रूप स्पष्ट नहीं है प्रस्तावित न्याय यात्रा में भी कांग्रेस को छेत्रीय दलों को अपने साथ लेना पड़ेगा, संक्षेप में कहें तो इंडिया गठबंधन को जल्द से जल्द फैसले लेने होंगे।
टिप्पणियां