2.0 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ा तापमान हो सकता विनाशकारी - प्रो.सोन्ती
सीएसआईआर महानिदेशक बंथरा में नर्सरी व पुष्प कृषि केन्द्र का उद्घाटन
- एनबीआरआई में मना पर्यावरण दिवस,निदेशक समेत अन्य वैज्ञानिक रहे मौजूद
लखनऊ। राजधानी के राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में आईएसईबी के सहयोग से विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। बुधवार को मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एन कलैसेलवी महानिदेशक सीएसआईआर नई दिल्ली द्वारा सर्वप्रथम बंथरा स्थित अनुसंधान केंद्र में नीलकमल नर्सरी एवं पुष्पकृषि केंद्र का उदघाटन किया। इस अवसर पर इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी नयी दिल्ली के निदेशक प्रो. रमेश वी. सोन्ती समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व निदेशक डॉ. पीवी साने समारोह शामिल रहे।
वहीं समारोह की शुरूआत संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए पर्यावरण दिवस के महत्व पर चर्चा की और इस वर्ष की थीम 'भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और अनावृष्टि तन्यकता' पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के बारे में सभी को जागरूक करना होगा। हमें अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करना होगा। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के लिए आत्म-मूल्यांकन करना चाहिए और उन्हें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें संरक्षित करना चाहिए।
इसी क्रम में प्रो. सोन्ती ने जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि हमारे पास ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने का अवसर तेजी से कम हो रहा है। पेरिस समझौते के अनुसार वैश्विक तापमान को पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.50 डिग्री सेल्सियस ऊपर सीमित करने की प्रतिबद्धता वैश्विक स्तर पर की गई थी। प्रो. सोन्ती ने कहा कि नवीनतम आईपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011-2020 के दौरान, वैश्विक सतह का तापमान पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.10 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुंच गया है और 2.0 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ा वैश्विक सतह तापमान विनाशकारी साबित हो सकता है। प्रो. सोन्ती ने बताया कि गर्म तापमान से चावल, मक्का, गेहूं और सोयाबीन जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार कम होने की संभावना है। चूंकि जलवायु अनिश्चित होगी, इसलिए एक ही वर्ष में फसल को बाढ़, सूखे और गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। हमें कीटनाशकों का प्रयोग कम करना होगा तथा फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए सूक्ष्मजीवी उर्वरकों जैसे विकल्प अपनाने होंगे।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 और 22 के लिए आईएसईबी फेलोशिप पुरस्कार और युवा वैज्ञानिक पुरस्कार की भी घोषणा की। ये पुरस्कार समाज द्वारा पर्यावरण विज्ञान में व्यक्ति द्वारा किए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए गए। वर्ष 2021 और 22 के लिए बीस फेलोशिप पुरस्कार और 6 युवा वैज्ञानिक पुरस्कार घोषित किए गए। साथ ही समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. पीवी साने ने कहा कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और जलवायु परिवर्तन के आने वाले विनाशकारी प्रभावों के बारे में आम जनता को जागरूक किया जाना चाहिए। इसके साथ ही डॉ. एन कलैसेलवी और सचिव, डीएसआईआर, विज्ञान ने बंथरा में स्थित संस्थान के दूरस्थ अनुसंधान केंद्र का दौरा किया।
यह सुविधा सीएसआईआर- फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत शुरू की जा रही है और यह लाभार्थियों के लिए सीएसआईआर फ्लोरीकल्चर मिशन पहलों के बारे में जानने के लिए एक विशेष केंद्र के रूप में काम करेगी। इस केंद्र पर पौधे भी बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे एवं यह केंद्र संस्थान द्वारा विकसित उत्पादों एवं प्रौद्योगिकियों की जानकारी के लिए सूचना स्थल के रूप में कार्य करेगा। डॉ. पीवी साने ने कहा कि हमे प्रदूषण को कम करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। आमजनता को प्लास्टिक प्रदूषण कम करने के साथ साथ वैकल्पिक उपायों के बारे में भी जागरूक करना होगा । कार्यक्रम के अंत में संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक एवं सहसचिव इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स डॉ. विवेक पाण्डेय द्वारा उपस्थित अतिथियों अतिथियों, एवं अन्य जन समुदाय को धन्यवाद दिया गया।
निदेशक डॉ. एके शासनी, सीपीसीबी के क्षेत्रीय निदेशक डीके सोनी, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. एमए खालिद, पृथ्वी इनोवेशन की अनुराधा गुप्ता सहित प्रख्यात विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया और बंजर भूमि के पुनर्स्थापन तथा मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए कार्य योजनाओं पर चर्चा की गयी। कार्यक्रम में 12 विभिन्न संस्थानों, डिग्री कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, गैर सरकारी संगठनों और जीएसके फार्मास्यूटिकल्स के लगभग 100 प्रतिभागी शामिल रहे।
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