ट्रिपल मर्डर में 22 साल से सजा काट रहे कैदी ने लिखी किताब
जेल अधीक्षक बोले- पढ़ने के बाद कोई नहीं करेगा ऐसा अपराध
By Tarunmitra
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मेरठ: मेरठ जिले के जिला कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदी ने 'मेरा आईना' नामक किताब लिखी है. इस किताब को अब यूपी की जेलों में निरुद्ध बंदियों तक पहुंचाया जा रहा है. जेल प्रशासन का मानना है कि बंदी की ये किताब सिर्फ किताब नहीं है, बल्कि इसे पढ़ने के बाद जीवन में बड़े परिवर्तन आ सकते हैं. बंदी रजनीश ट्रिपल मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा में काट रहा है.
'22 साल से जेल में है बंद'
वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने बताया कि यह किताब बंदी रजनीश ने लिखी है. वर्तमान में रजनीश मेरठ जिला कारागार में बंद है, जबकि पूर्व में मुजफ्फरनगर की जेल में भी रह चुका है. इस किताब को लिखने के पीछे की मंशा उसकी है कि अगर कोई गलती जीवन में हो गई तो उसे स्वीकार करते हुए जीवन में आगे बढ़ना चाहिए.
वे बताते हैं कि बंदी रजनीश ट्रिपल मर्डर मामले में 22 साल से जेल में बंद है. बंदी ने ये संदेश देने की कोशिश की है कि शासन का सहयोग करते हुए जेल में अपना समय काटें, जो योगा करना चाहते हैं वह योगा करें. अवसाद कुंठा और डिप्रेशन से बचना है तो नियमित रूप से व्यायाम करें, शिक्षण कार्य करें, पढ़ाएं या पढ़ें. अपने संस्मरण लिखें.
जेलों में पहुंचाई जा रहीं किताबें
उन्होंने बताया कि जब बंदी अपने अंदर झांकना शुरु करेंगे तो उन्हें यह अहसास और पछतावा होगा कि जो उनसे जो गलती हुई वह हुई, लेकिन अब जीवन को आगे बढ़ाएं. जेल अधीक्षक ने बताया कि कारागार मंत्री का कहना है कि जिन जेलों में बंदी कुछ रचनात्मक करने का प्रयास कर रहे हैं उसे और अधिक बढ़ाया जाए ताकि बंदियों में सकारात्मकता बढ़े और रचनात्मकता बढ़े.
जेल अधीक्षक का कहना है कि उन्होंने यह प्रयास किया है कि इस किताब के पांच-पांच सेट प्रदेश की सभी जेल में पहुंच जाए, ताकि जब समय मिले तो इन किताबों को वहां के बंदी पढ़ें और उनके अंदर जो भी फ्रस्ट्रेशन, तनाव आदि रहता है, उनके जीवन में कुछ बदलाव लाया जा सके. सकारात्मक सोच के साथ अपना जीवन आगे गुज़ार सकें. जेल से छूटने के बाद समाज में पुनर्स्थापित हो सकें. उन्होंने कहा कि कोई बंदी अगर किताब पढ़े तो क्राइम नहीं करेगा.
पुस्तकालयों में भेजी गई हैं किताबें
अधिकारियों का कहना है कि यह किताब नहीं मेनिफेस्टो है और बंदी इसे पढ़ेंगे तो उम्मीद है सकारात्मक सोच के साथ इसका अनुसरण करेंगे. निश्चित ही उनके जीवन में कई बड़े बदलाव आएंगे और अपना जीवन बेहतर ढंग से जी सकेंगे. वरिष्ठ जेल अधीक्षक का मानना है कि इस किताब को पढ़ने के बाद बंदी कभी जेल में रहते हुए उत्पात नहीं करेगा, बल्कि जेल में रहते हुए वह शासन का भी सहयोग करेगा.
उन्होंने कहा कि बंदी रजनीश ने जेल में अपने समय का सदुपयोग किया है. बंदी की किताबें कई पुस्तकालयों में भेजी गई हैं. बंदी ने अलग-अलग 18 अध्याय में इस किताब को विभक्त किया है, जिसमें मुश्किल परिस्थितियों में सकारात्मक दृष्टिकोण कैसे बना सकते हैं.
1999 में ट्रिपल मर्डर की हुई थी घटना
उन्होंने बताया कि बंदी रजनीश मूलरूप से मेरठ जिले के भावनपुर क्षेत्र के लालपुर गांव का रहने वाला है. गांव में ही वर्ष 1999 में एक ट्रिपल मर्डर की घटना हुई थी. पुलिस ने इस तिहरे हत्याकांड में कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले 5 वर्ष ट्रायल चला और उसके बाद सभी आरोपियों को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
रजनीश की उम्र तब 21 वर्ष थी. रजनीश अपने परिवार के इकलौते पुत्र हैं, जबकि दो बहनें हैं. वरिष्ठ जेल अधीक्षक बताते हैं कि काफी समय से रजनीश लिख रहा था. उसने इच्छा जताई कि वह अपने लिखे हजारों पन्नों के सार को किताब में समेटना चाहता है, जिसके बाद रजनीश की किताब को एक संस्था की मदद से प्रकाशन के लिए भेजा गया.
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि क़िताब लिखने वाले सजायाफ्ता मुजरिम रजनीश को एक लड़की से बे इंतेहा मोहब्बत थी, उसकी प्रेमिका की मौत हो गई थी. इसके बाद उसकी प्रेमिका के दादा, पिता और भाई की हत्या कर दी गई और इन तीनों हत्याओं के आरोप में रजनीश को जेल भेज दिया गया था. वर्तमान में अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
Tags: book in jail. meetut
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