माफिया-मसीहा के तराज़ू में ऊपर-नीचे दिखता मुख्तार!
-पूर्वांचल के माफिया जगत में था बड़ा नाम, पर मसीहा मानने वाले भी नहीं कम
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-योगी मंत्रिमंडल में शामिल ओमप्रकाश राजभर भी मुख्तार को बोले ‘गरीबों का मसीहा’
-गाजीपुर-मऊ व आसपास की सीमा छोड़, बाकी क्षेत्रों में रही दबंगई-धमकियों की धमक
-गरीबों व असहायों का माना गया रॉबिनहुड, ठेकेदारी व रंगदारी में वर्चस्व को ले रहा सख्त
-माफियागिरी और मसीहागिरी के दो विपरीत धु्रवों को ताउम्र साधे रखा मुख्तार अंसारी
-माफिया डॉन अतीक अहमद व शातिर माफिया मुन्ना बजरंगी में नहीं थी मुख्तार वाली बात
लखनऊ। कहते हैं चाहे कितनी भी बड़ी शख्सियत हो, वो चाहे कितना भी बड़ा दबंग हो, रसूखदार हो, माफिया हो...यदि वो अपने निजी जीवन में अपने परिवारीेजनों के साथ रहता है तो कहीं न कहीं उसके सख्त मन-मस्तिष्क वाले एक कोने में एक नरमदिल इंसान छिपा होता है जो उसे उसके आसपास के समुदायिक जनजीवन में कुछ न कुछ बेहतर कार्य करने को प्रेरित करता रहता है और आखिर में जब वो दुनियां में नहीं रहता है तो तमाम विरोधाभास के बावजूद वही भलाई का काम लोगों की जुबां से अपने आप निकलने लगता है।
इन दिनों कुछ ऐसे ही विरोधाभासी तराज़ू में दो गज़ जमीन के नीचे जमींदोज हो चुका मुख्तार अंसारी का पलड़ा कभी इधर तो कभी उधर तौलता दिख रहा है। एक पल लगता है कि उसे उसके माफियागिरी की सज़ा मिली है तो दूसरे पल जब कई नेतागण समेत गाजीपुर क्षेत्र के आसपास की आमजनता भी यह सार्वजनिक रूप से कहने लगती है कि दरअसल, वो तो एक तरह से गरीबों, मज़लूमों व असहायों के लिये मसीहा से कम न था...तो अनायास ही सवाल उठने लगता है कि आखिर अपनी मौत के बाद भी बाहुबली मुख्तार अंसारी ने किस तौर-तरीके से अपनी पूरी शख्सियत को ताउम्र कभी माफियागिरी तो कभी मसीहागिरी के दो अलग-अलग धु्रवों के साथ साधे रखा।
मुख्तार अंसारी के जनजीवन से जुडेÞ हर एक खास गतिविधि पर पैनी नज़र रखने वाले कुछ वरिष्ठ पत्रकारों का कहना रहा कि शायद भारत वर्ष की आजादी के बाद से पूर्वांचल क्षेत्र में अब तक अकेला मुख्तार ही ऐसा है, जिसकी मौत के बाद भी उसके जीवन से संबंधित तमाम छोटे-बडेÞ आपराधिक गतिविधियों की पूरी एक लम्बी फेहरिस्त के बावजूद, ज्यादातर मीडिया के साथ-साथ हर खासोआम के बीच उसके मसीहा वाले व्यक्तित्व की कहीं अधिक चर्चा हो रही। गौर हो कि इससे पहले प्रयागराज से ताल्लुक रखने वाले माफिया डॉन अतीक अहमद और उससे पूर्व पूर्वांचल के शातिर माफिया मुन्ना बजरंगी की भी मौत अलग-अलग कारणों से हो गई थी, मगर उनके जाने के बाद लोगों के बीच उनकी ज्यादातर चर्चा उनके आपराधिक कारनामों को लेकर हुई, मुख्तार वाली बात उनके जीवन में कहीं से भी जुड़ती नहीं दिखाई दी।
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