पटहेरवा : श्रीराम कथा के श्रवण से मिलता है सभी अनुष्ठानों का लाभ - पद्मेश महाराज
पटहेरवा, कुशीनगर। आज के दौर में यज्ञ, जप, तप, व्रत व पूजा-पाठ विधि विधान से नहीं कर पाते हैं, लेकिन निर्मल मन से श्रीराम कथा सुनने से सारे अनुष्ठानों का लाभ मिल जाता है। उक्त बातें रजवटिया में आयोजित श्री महाविष्णु महायज्ञ कार्यक्रम के दूसरे दिन श्रीराम कथा का श्रवण कराते हुए कथावाचक पद्मेश जी महाराज ने कही।
उन्होंने कहा कि परमात्मा रंग, रूप व धन नहीं देखता है। उसकी नजरों में केवल मन सर्वश्रेष्ठ है। इसलिए निर्मल मन से कथा का श्रवण करना चाहिए। समाज में बढ़ती भौतिकतावादी प्रवृति के कारण नैतिक मूल्यों में कमी हो रही है। मनुष्य की पहचान वेशभूषा व पद-प्रतिष्ठा से नहीं, बल्कि आचरण से होती है। आज सात्विकता की कमी के कारण लोगों में अहंकार बढ़ रहा है, जो परमेश्वर से दूर कर रहा है। कहा कि, राजा मनु धर्मपूर्वक राज्य करते हैं। काफी समय बाद उनके हृदय में वैराग्य उत्पन्न होता है और वे निर्णय लेते हैं कि वे अपना मन भगवान राम में ही लगाएंगे। वैराग्य का सदुपयोग ज्ञान के माध्यम से मुक्ति प्राप्त करना है तथा राम का सदुपयोग करने पर भक्ति की प्राप्ति होती है। राजा मनु ने पुत्र मोह के कारण भगवान को अपना पुत्र बनाकर ईश्वर सुख की प्राप्ति की, क्योंकि मोह में फंसकर जीव पतन की ओर बढ़ने लगता है। मोह यदि परमात्मा के प्रति होता है तो वह जीवन में वात्सल्य सुख भी दे सकता है। पुराणों में भी दो पात्र ऐसे हैं, जिनमें पुत्र के प्रति घोर ममता है। एक महाराज दशरथ तथा दूसरे धृतराष्ट्र हैं। एक ने पुत्र मोह में प्राण त्याग दिए तथा दूसरे ने महाभारत करा दी। उन्होंने मा की ममता, गणेश जी लेखनी आदि प्रसंगों की चर्चा की। इस दौरान बंता राव, रमाशंकर सिंह, राजेन्द्र सिंह, मनोज राय, शिवजी राय, मैनेजर सिंह, भूपनरायन राव, बशिष्ठ सिंह, मनोज सिंह, सत्यदेव राय, अशोक सिंह, विजय सिंह, अरविंद सिंह, रविन्द्र सिंह आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।
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