केजीएमयू फार्मासिस्ट ने मरीज की जिंदगी से किया खिलवाड़
ईएनटी की दवा देने के बजाय दूसरी दवा देने के लगे आरोप
By Harshit
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- संस्थान कर्मचारी मरीज की बिगड़ी हालत
- कर्मचारी ने कुलपति से लगाई कार्रवाई करने की गुहार
लखनऊ। राजधानी के बड़े चिकित्सा संस्थानों में दीपक तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।जब चिकित्सा संस्थान के कर्मचारी का स्वास्थ्य बढ़िया नहीं रहेगा तो बाहर से आने वाले मरीजों का भला कैसे हो सकेगा।मामला केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग में सिक अटेंडेंट के पद पर कार्यरत मरीज कुंवर आलोक का है। जिसमें बीते 5 सितंबर को आलोक कुमार की एकाएक तबीयत बिगड़ने पर ओपीडी के नाक , कान गला रोग विभाग में डॉ.एचपी सिंह को दिखाने पहुंचे।मरीज ने जारी पत्र के माध्यम से कहा कि डॉ. सिंह ने टैबलेट अबडोल एसपी की दवा लिखी और उसकी जगह फार्मासिस्ट चंद्रकला ने पैरासिटामोल 650 दे दी ।
जिसपर पीड़ित मरीज आलोक ने एलपी काउंटर प्रभारी फार्मासिस्ट चंद्रकला पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो दवा डॉक्टर ने लिखी थी वोह नहीं दी। उसके बजाय दूसरी दवा दे दिया और बाकी दवा देने की अगली तारीख़ देकर वापस कर दिया है। वहीं सितंबर में ही मरीज आलोक ने दोबारा दवा लेने पहुंचा तो उसे एलपी काउंटर से सेफविज सीएल की बजाय कैंडिड सीएल और इसके साथ एक सॉल्विन टेबलेट दे दी। मरीज आलोक के द्वारा दवाओं का सेवन करते ही स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और मरीज को उल्टी दस्त शुरू हो गई ।मरीज की बिगड़ती हालत देखते ही परिजनों ने घबराकर पुनः ईएनटी डॉक्टर से सलाह ली तो डॉक्टर सिंह ने बताया कि यह दवा महिलाओ के लिए होती हैं यह दवा पुरुषों को नहीं खानी चाहिए।
डॉक्टरों ने कहा कि यह दवा लिखा नहीं तो आखिर कहां से ले ली है।इसे तत्काल बंद कर दीजिए।ऐसा सुनते ही मरीज आलोक के पैरो तले जमीन खिसक गई और बिना देरी पुनः एलपी काउंटर पहुंचे जहां समस्या का समाधान नहीं हुआ। वहीं अगर मरीज आलोक डॉक्टर से सलाह नहीं लेता कोई बड़ी अनहोनी हो सकती थी,आखिर इतनी बड़ी लापरवाही का कौन जिम्मेदार होगा। इन्ही सवालों के घेरे में एलपी काउंटर प्रभारी की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं।
इससे साफ जाहिर हो जाता है कि इस तरह की एलपी काउंटर प्रभारी की लापरवाही किसी के भी प्राण पखेरू उड़ा सकते हैं।जिसे कोई सुनने देखने वाला नहीं है ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में संस्थान कर्मचारी के साथ कोई बड़ी घटना हो सकती है। वहीं देखा जाए तो मरीज संस्थान कर्मचारी होते हुए भी इस तरह की लापरवाही शिकार हो गया और बाकी बाहर से इलाज के लिए आने वाले लोगों का क्या होता होगा। इसमें संस्थान कर्मचारी कितने निष्ठाभाव के साथ कार्य कर रहे हैं यह साफतौर पर जाहिर हो जाता है। वहीं मरीज आलोक ने अपनी फरियाद को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए कुलपति कुलसचिव,मुख्यचिकित्सा अधीक्षक,कर्मचारी परिषद से न्याय करने की गुहार लगाई है।अब देखना दिलचस्प हो गया है कि इस मामले में कार्रवाई होती है या ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। वहीं पीड़ित आलोक का कहना है कि कुलपति, कुलसचिव को पत्र के माध्यम से शिकायत की है कि अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही कोई हाल पूछा कि कैसे हो।
आलोक ने कहा कि बच्चों को थायराइड हुआ है वोह एलपी काउंटर पर दवाएं नही मिल रही हैं।यह हकीकत है बड़े चिकित्सा संस्थान की।जब कर्मचारी ही शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं होंगे तो बाहरी मरीजों को सुविधाएं कौन प्रदान करेगा।ज्ञात हो कि लोकल परचेज काउंटर यानी की एलपी से कर्मचारियों को मुफ्त में दवाएं दी जाती हैं। जिसमें सभी दवाएं मुफ्त में संस्थान कर्मचारियों के लिए उपलब्ध कराता है।इस सुविधा से हजारों कर्मचारियों को दवाएं प्रदान की जाती हैं।जिससे कर्मचारियों को बाहर से दवाएं नहीं लेनी पड़ती हैं। वहीं मौजूदा एलपी काउंटर पर अक्सर सभी दवाएं उपलब्ध नहीं रहती हैं।जिससे कर्मचारियों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
संस्थान के कर्मचारियों को दवाएं उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता में शामिल है।रही बात एलपी काउंटर से दी गई दवाओं की तो यह मामला जांच का विषय है । इसमें कौन सी दवा लिखी गई और कौन दी गई है।यह सब जांच उपरांत ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
डॉ.सुधीर सिंह
प्रवक्ता केजीएमयू लखनऊ
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