गैंगरेप पीड़िता ने कोर्ट से लगाई न्याय की गुहार

गैंगरेप पीड़िता ने कोर्ट से लगाई न्याय की गुहार

चित्रकूट: कोतवाली के अंतर्गत एक गांव निवासी गैंगरेप पीड़िता किशोरी ने पुलिस से मायूस होकर अब कोर्ट की शरण ली है। पीड़िता के अधिवक्ता रामकृष्ण ने बताया कि उसने तत्कालीन सीओ, तीन पुलिसकर्मियों और एक होटल के तीन कर्मचारियों के खिलाफ न्यायालय में धारा 156 (3) के तहत प्रकीर्णवाद दायर किया है। 
किशोरी ने कोर्ट को दिए प्रार्थनापत्र में बताया है कि 23 फरवरी 2024 की सुबह गांव निवासी संजय उसे बहला फुसलाकर अपने साथ ले गया था। आरोप लगाया कि उसने अपने भाइयों रामरतन और रतनवा के साथ आठ दिन तक उसे सीतापुर स्थित श्रीजी होटल में बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उससे कई बार दुराचार किया गया और गालीगलौज करते हुए मारपीट की गई। 26 फरवरी को इस संबंध में उसके पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इस पर पुलिस उसे बरामद कर कोर्ट ले गई थी।

किशोरी का आरोप है कि तीन कांस्टेबलों ने उसे धमकाकर कहा था कि अदालत में यह कहना कि अपनी मर्जी से गई थी। अदालत में बयान के बाद तीनों कांस्टेबल उसे फिर उसी होटल में ले गए और वहां कई दिन रखे रहे। आरोप है कि वहां होटल के तीन कर्मचारियों ने भी उसके साथ दुराचार किया।

किशोरी का आरोप है कि होटल में सीओ भी आए और उसके साथ दुराचार किया। कई दिन बाद उसके पिता को बुलाकर उसको सौंपा गया। यह भी कहा गया कि अगर कहीं कार्रवाई करोगी तो तुमको और पिता को मार दूंगा, फर्जी मुकदमा में फंसाकर जेल भिजवा दूंगा।

पीड़िता के अधिवक्ता रामकृष्ण ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने सिर्फ अपहरण और जान से मारने की धमकी की रिपोर्ट दर्ज की और जब पीड़िता को आरोपियों के साथ बरामद किया तो इसके बाद भी गैंगरेप की धारा नहीं जोड़ी गई। कोर्ट में मनमाना बयान देने के लिए भी दबाव डाला। आरोपियों को अब तक गिरफ्तार भी नहीं किया गया।

परिजनों को बताई आपबीती

पीड़िता का कहना है कि जब वह दोबारा आरोपियों के चंगुल से छूटकर घर पहुंची तो उसने परिजनों को आपबीती बताई। इसके बाद पिता के साथ फिर रिपोर्ट दर्ज कराने कोतवाली गई लेकिन न तो पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की और न निष्पक्ष विवेचना की और न कोई कानूनी कार्रवाई की। उसे और उसके पिता से गालीगलौज कर भगा दिया। उसने एक अप्रैल को एसपी से इसकी लिखित शिकायत की और व्यक्तिगत रूप से मुलाकात भी की। इसके बाद भी उसकी रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई। पीड़िता होटल कर्मचारियों के नाम तो नहीं बता सकी है पर उसका कहना है कि अगर वे सामने आएंगे तो वह उनका पहचान जाएगी।

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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