बजट में ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने पर जोर
लखनऊ। बैंकर्स इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, नाबार्ड लखनऊ के निदेशक डॉ. निरूपम मेहरोत्रा कहा कि इस वर्ष बजट में ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। साथ ही समग्र कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए सिंचाई, ग्रामीण जल आपूर्ति और पंचायती राज पर भी जोर दिया गया है। यह बात बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में भारतीय बजट : क्षेत्रीय विकास और समावेश पर निहितार्थ विषय पर आयोजित पैनल चर्चा के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कौशल विकास, प्रौद्योगिकी अपनाने और निवेश को बढ़ावा देकर कृषि में रोजगार अवसर बढ़ाने का प्रयास किया जायेगा। जो कि एक सकारात्मक कदम है। अर्थशास्त्र विभाग की ओर से हुई चर्चा बजट के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। बीबीएयू के पूर्व कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने कहा कि निजी निवेश में गिरावट, कमजोर माल निर्यात और सुस्त रोजगार अवसर की गति जैसी आर्थिक चुनौतियां से निपटने के लिए विभिन्न समाधानों की आवश्यकता है। इसी के साथ इन्होंने सबका विकास लक्ष्य के साथ विकसित भारत के व्यापक सिद्धान्तों की जानकारी दी।
साथ ही भारतीय, यूरोपियन एवं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के तुलनात्मक विश्लेषण को प्रस्तुत किया। गिरि इंस्टिट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के पूर्व निदेशक प्रो. एके सिंह ने बताया कि इस वर्ष केन्द्रीय बजट में विकास के चार क्षेत्रों कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात पर जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना, संशोधित ब्याज योजना, एमएसएमई के तहत दिये जाने वाले ऋण में बढ़ोत्तरी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नये प्रावधान, उड़ान योजना एवं ज्ञान भारत मिशन जैसी विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी।
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. एमके अग्रवाल ने बताया कि केन्द्रीय बजट 2025-26 में एमएसएमई के लिए निवेश और टर्नओवर की सीमा क्रमश: 2.5 और 2 गुना बढ़ा दी गई है। 2025-26 के केन्द्रीय बजट में भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए कई व्यापक उपाय पेश किए गए हैं।
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