पुरुष विवेक प्रधान व स्त्री भाव प्रधान है : आचार्य गोविंद
By Harshit
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लखनऊ। पुरुष विवेक प्रधान और स्त्री भाव प्रधान है। अधिकांश धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन में देवियों की भूमिका अधिक होती है। बिना स्त्री के घर की शोभा नहीं होती है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि स्त्री ही घर है। अपने घर की सुंदरता व पवित्रा बनाए रखना स्त्री की जिम्मेदारी है।
विश्वनाथ मन्दिर के 33वें स्थापना दिवस पर श्रीरामलीला पार्क सेक्टर - 'ए' सीतापुर रोड योजना कालोनी में चल रहे शिव पुराण कथा के छठे दिन शुक्रवार को कथाव्यास आचार्य गोविंद मिश्रा ने प्रथम पूज्य गणेश और कार्तिकेय के जन्म का प्रसंग सुनाया। कथा में प्रथम पूज्य की झांकी आकर्षण का केंद्र रही।
कथाव्यास आचार्य गोविंद मिश्रा ने बताया कि देवी पार्वती ने अपने उबटन से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। जिसके बाद उन्होंने उसे द्वारपाल बनाकर बैठा दिया। वह स्नान करने के लिए चली गईं। संयोग से इसी दौरान भगवान शिव वहां पहुंच गए। बालक गणेश ने उन्हें रोक दिया। समझाने के बाद भी नहीं मानने पर क्रोधित होकर शिवजी ने त्रिशूल से गणेश का सिर काट दिया। जिसके बाद पार्वती नाराज हो गई।
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