पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह को राहत से इनकार, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ बूंदी राजघराने की संपत्तियों के धोखाधड़ी मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेशों में दखल से इंकार कर दिया। हाईकोर्ट ने बूंदी की एडीजे कोर्ट के 25 मई 2023 व सीजेएम बूंदी के 18 नवंबर 2021 के आदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि निगरानी न्यायालय व ट्रायल कोर्ट ने विस्तृत व कारण सहित आदेश दिया है और इसमें उन्हें सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दी गई शक्तियों के तहत किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। जस्टिस अनिल कुमार उपमन ने यह निर्देश भंवर जितेन्द्र सिंह की याचिका खारिज करते हुए दिया। याचिका में सीजेएम के 18 नवंबर 2021 के प्रसंज्ञान आदेश व एडीजे कोर्ट के गैर जमानती वारंट को जमानती वारंट में बदलने वाले आदेश को चुनौती दी थी। इस मामले में अविनाश चानना ने भंवर जितेन्द्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ 2017 में एफआईआर दर्ज कराई थी और उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने मामा रणजीत सिंह की वसीयत से छेड़छाड़ की है और उसे अपने पक्ष में किया है। सीजेएम कोर्ट ने उनके खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर उन्हें कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था। इसे निगरानी कोर्ट में चुनौती देने पर अदालत ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदल दिया लेकिन प्रसंज्ञान लेने को सही माना। निगरानी व ट्रायल कोर्ट के दोनों आदेशों को भंवर जितेन्द्र सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि यह मामला सिविल नेचर का है और संपत्ति विवाद के दावे पेंडिंग चल रहे हैं। इसलिए निगरानी व ट्रायल कोर्ट के आदेश रद्द किए जाए।
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