न्यायिक अभिरक्षा के आदेश पर किए गए निलंबन पर लगाई रोक

न्यायिक अभिरक्षा के आदेश पर किए गए निलंबन पर लगाई रोक

जयपुर। राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने आपराधिक मामले में 48 घंटे की अवधि तक न्यायिक अभिरक्षा में रहने के आधार पर चिकित्सक के किए गए निलंबन पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही अधिकरण ने चिकित्सा सचिव, संयुक्त कार्मिक सचिव, स्वास्थ्य निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अधिकरण ने यह आदेश डॉ. राजेन्द्र सिंह की अपील पर दिए। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि अपीलार्थी को वहीं कार्यरत रखा जाए, जहां वह निलंबन से पूर्व कार्यरत था। अपील में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अधिकरण को बताया कि अपीलार्थी सीएचसी, गुलपाडा, अलवर में चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्त है और एसएमएस मेडिकल कॉलेज में पीजी पाठ्यक्रम में अध्ययनरत है। उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने पर उसे 12 मार्च, 2023 को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। वहीं विभाग ने 4 सितंबर, 2023 को आदेश जारी कर अपीलार्थी के 48 घंटे न्यायिक अभिरक्षा में रहने के आधार पर उसे निलंबित कर दिया और निलंबन की अवधि 12 मार्च से मानी गई। अपील में बताया गया की अपीलार्थी को निलंबित हुए कई माह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक आपराधिक मामले में आरोप पत्र पेश नहीं हुआ है। इसके अलावा उसे विभाग की ओर से कोई आरोप पत्र भी नहीं दिया गया है। अपील में कहा गया की सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि यदि 90 दिन की अवधि में कर्मचारी को आरोप पत्र नहीं दिया गया हो और ना ही फौजदारी प्रकरण में आरोप पत्र पेश नहीं हुआ हो तो निलंबन अवधि को जारी नहीं रखा जा सकता। इसके साथ ही यदि अपीलार्थी पद ग्रहण कर लेता है तो फौजदारी प्रकरण में कोई फर्क नहीं पडेगा। इसलिए उसके निलंबन आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।

 

 

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