श्रीराम उत्सव पर श्री अंजनीलाल जी की छतरी पर हुई सोने की पॉलिस
राजगढ़। भगवान श्री अंजनीलाल जी की प्रतिमा प्राचीन समय से स्थापित है। प्रतिमा की चैतन्यता और भगवान श्री अंजनीलाल के चमत्कार से समूचा क्षेत्र परिचित है। पचास साल पूर्व भगवान श्री अंजनीलाल जी एक छोटे से चबूतरे पर खुले में विराजमान थे। अब श्री अंजनीलाल स्वर्णजड़ित छतरी में विराजेंगे। मंदिर ट्रस्ट ने करीब सात लाख रूपए के सोने से जयपुर के कारीगरों के माध्यम से यह कार्य कराया है। भगवान श्री अंजनीलाल जी की प्रेरणा से नगर के कुछ युवकों ने श्री अंजनीलालजी की प्रतिमा पर छाया करने का संकल्प लिया,श्रमदान व जनसहयोग से चबूतरे ने एक सुंदर मंदिर का स्वरूप लिया। धीरे-धीरे यह स्थान लोगांे की आस्था का केन्द्र बनता चला गया और इस स्थल की विकास यात्रा भी चलती रही।
श्री अंजनीलाल जी का यह स्थल एक धाम के रूप में स्थापित हो गया। वर्ष 1972- 73 में नवयुवकों ने चबूतरे पर खुले आकाश तले विराजित अंजनीलालजी की मूर्ति पर छाया करने का संकल्प लिया, इसके बाद शुरू हुई विकास यात्रा आज 50 वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद भी थमी नही है। भगवान श्री अंजनीलाल जी घने जंगल के मध्य शांत वातावरण में एक छोटे से चबूतरे पर विराजमान थे. घना जंगल, कटीली झाड़ियों, कंकटाकीर्ण मार्ग, जहरीले जीव-जंतु को लांघते हुए इस चमत्कारिक चबूतरे तक पहुंचना एक दुष्कर कार्य था, यह स्थल शांत प्रिय तो था लेकिन निर्जन स्थल पर पहुंचने वाले भयभीत रहते थे।
श्री अंजनीलाल जी की प्रेरणा से इन युवकों द्वारा लगाया आस्था का दीपक आज नगर को प्रकाशमान कर रहा है। भगवान श्री अंजनीलाल का जहां सिर्फ एक चबूतरा था वहां आज मकराना मार्बल से निर्मित भव्य व विशाल मंदिर गत वर्ष बनकर तैयार हुआ है, यह संयोग का विषय है कि देश में मनाएं जा रहे श्री राम उत्सव के शुभ अवसर पर श्री अंजनीलाल जी स्वर्णजड़ित छतरी में विराजमान होने जा रहे है। मंदिर ट्रस्ट परिवार ने इसके लिये जयपुर के विशेष कारीगर करन सांकला, मो. इरफान, मोहम्मद आजीम, जावेद खान, परवेज खान, महेश जागीड़ और उनकी टीम ने इस सुंदर कार्य को तीन दिनों में पूर्ण किया है।
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