राज्यसभा सांसद संजय सिंह आईएलबीएस अस्पताल में भर्ती

राज्यसभा सांसद संजय सिंह आईएलबीएस अस्पताल में भर्ती

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सिंह करीब छह माह बाद बुधवार को घर लौट सकते हैं। फिलहाल, लिवर से जुड़ी बीमारी के इलाज के लिए वे लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) में भर्ती हैं। अस्पताल में लिवर की बायोप्सी की गई है। इस जांच के बाद रिपोर्ट के आधार पर आगे का इलाज होगा।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट से जमानत की खबर सुनने के बाद संजय सिंह के समर्थक ढोल के साथ उनके सरकारी आवास पर पहुंचे। यहां उन्होंने संजय सिंह की पत्नी अनीता सिंह को शुभकामनाएं दीं। पत्नी ने कहा कि यह संघर्ष लंबा है और आगे भी इसी तरह से जारी रहेगा। जब तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन जेल से बाहर नहीं आ जाते, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। संजय सिंह के बाहर आने का हम जश्न नहीं मना रहे हैं। जमानत के लिए हम अदालत को धन्यवाद देते हैं। संभावना है कि संजय बुधवार को घर आ जाएंगे।
मेरे तीन भाई जेल में हैं, बाहर आने पर मनेगा जश्न
संजय सिंह की पत्नी अनीता सिंह ने कहा कि मेरे तीन भाई अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और सत्येन्द्र जैन अभी भी सलाखों के पीछे हैं। उनके बाहर आने के बाद जश्न मनाया जाएगा। सभी के बाहर आने तक यह खुशी अधूरी रहेगी। यह सत्य की जीत है।
मां के लिए बेटे के घर आने से बड़ी खुशी नहीं
संजय की मां राधिका ने कहा कि बेटे को पेट में संक्रमण हो गया है। उससे जुड़ा इलाज चल रहा है। सुबह मैं संजय से मिलकर आई हूं। वह ठीक है। मंगलवार देर शाम अनीता भी उससे मिलने चली गई। हम उम्मीद कर रहे हैं कि बुधवार शाम तक संजय पूरे परिवार के साथ घर पर होगा। सभी मिलकर रात का खाना खाएंगे।


सुल्तानपुर में पिता ने मिठाई बांटी
मां राधिका ने कहा कि भाजपा ने बिना किसी कारण छह माह तक संजय को जेल में रखा। उसका कोई कसूर नहीं था, लेकिन परेशान किया जा रहा है। सच कभी हार नहीं सकता। संजय के लौटने की खुशी में पिता दिनेश सिंह भी दिल्ली आ रहे हैं। वे बुधवार शाम तक सुल्तानपुर से दिल्ली पहुंच जाएंगे। वे बहुत खुश हैं और उन्होंने पैतृक स्थान पर मिठाइयां बांटी हैं। हनुमान मंदिर में प्रसाद भी चढ़ाया है।

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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