इंदिरानगर थाने पर बार-बार लग रहे मुकदमा न दर्ज करने के आरोप
-दुर्घटना के मामले तीन दिन बाद दर्ज नहीं हुई एफआईआर
लखनऊ। इंदिरा नगर थाने की पुलिस पर पीड़ितों द्वारा बार-बार मुकदमा दर्ज न करने के आरोप लगाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इस बार इंदिरानगर पुलिस पर दुर्घटना के मामले में मुकदमा दर्ज न करने का आरोप लगा है। इस घटना में दो लोगों के हाथ टूट गए। पुलिस पर आरोप है कि वह विपक्षी का ही पक्ष सुन रही है। आरोप यह भी हैं कि पुलिस प्लास्टर का पैसा लेकर मामला रफा-दफा करने के लिए दबाव बना रही है। इससे पूर्व एक महिला ने आरोप लगाया था कि पुलिस कमिश्नर से शिकायत के लगभग पांच माह बाद इंदिरा नगर की पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया था।
दरअसल, इंदिरा नगर थाने के फरीदीनगर के खरगापुर के रहने वाले अंकित विभूतिखंड स्थित उच्च न्यायलय में कॉफी की दुकान पर काम करते हैं। अंकित का कहना है बीते 19 फरवरी को वह रात करीब साढ़े नौ बजे कोर्ट से लौट रहे थे। वह अपने मित्र मनीष और सुमित के साथ लौट रहे थे। अंकित का कहना है कि वह अपनी दिशा में ही वाहन चला रहे थे,इस दौरान उल्टी दिशा से तेज रफ्तार में आ रही फॉर्च्यूनर सीजी 10 बीआर 0005 ने उन्हें तेजी से ठोकर मारी,इस घटना में वह दस फ़ीट दूर जा गिरे। अंकित का कहना है वाहन चालक मौके से फरार हो गया। इस घटना में उन्हें और उनके मित्र को गहरी चोट आई। हाथ की हड्डी टूट गई। राहगीरों ने उन्हें और उनके मित्र को लोहिया अस्पताल भर्ती कराया। आरोप है कि इस मामले में उन्होंने अगले दिन पुलिस से लिखित शिकायत की लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। आरोप है कि थाने की पुलिस आरोपी चालक का ही पक्षपात कर रहे हैं।
पहले भी मुकदमा न दर्ज करने के लगे हैं आरोप
इंदिरानगर पुलिस पर कुछ दिन पूर्व ही मुकदमा दर्ज न करने के आरोप लगे थे। पीड़िता के पिता आरोप लगाया था कि उनकी बेटी को दामाद लगातार दहेज़ के लिए उत्पीड़न कर रहा है। आरोप था कि इस मामले में इंदिरा नगर पुलिस पर कार्रवाई न करने के आरोप लगे थे। वहीं पीड़िता के पिता का कहना था कि पूरे मामले की शिकायत उन्होंने पुलिस कमिश्नर से भी की थी लेकिन लगभग पांच माह बीत जाने के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। हलांकि इस मामले में पिता ने डीसीपी उत्तरी गोपाल कृष्ण चौधरी से मिलकर शिकायत की जिसके बाद इंदिरा नगर पुलिस हरकत में आई थी।
पीड़ित द्वारा मेरे कार्यालय आकर शिकायत करने पर उचित कार्रवाई की जायेगी। - जितेंद्र कुमार दुबे, एडीसीपी उत्तरी
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