एक करोड़ परिवार को 300 यूनिट बिजली फ्री
इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र को व्यापक बनाने पर रहेगा जोर
भूटान को दी गई सबसे ज्यादा सहायता, मालदीव दूसरे स्थान पर बजट
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा कि अवसंरचना विकास व्यय में 11.1 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और कुल 11,11,111 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत होगा।श्रीमती सीतारमण ने कहा कि व्यय में वृद्धि से आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में कई गुणा तेजी आएगी। प्रधानमंत्री गति शक्ति के अंतर्गत पहचान किए गए तीन प्रमुख आर्थिक गलियारों का शुभारंभ किया जाएगा। ये तीन गलियारे हैं ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारा, पत्तन संपर्कता गलियारा और अधिक यातायात वाला गलियारा। इन परियोजनाओं से न केवल कनेक्टिविटी बढ़ेगी बल्कि रसद व्यवस्था में सुधार आएगा और लागत में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि यात्रियों की सुविधा, आराम और सुरक्षा बढ़ाने के लिए 40,000 सामान्य रेल डिब्बों को “वंदे भारत” मानकों के अनुरूप परिवर्तित किया जाएगा।वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में देश में हवाई अड्डों की संख्या दोगुना होकर 149 हो गयी है।
उड़ान योजना के अंतर्गत और अधिक शहरों को हवाई मार्गों से जोड़ा गया है। इसके परिणामस्वरूप देश की विमानन कंपनियां 1000 से अधिक नये विमानों की खरीद का आर्डर देकर विकास के मार्ग पर अग्रसर हो रही है। मौजूदा हवाई अड्डों का विस्तार और नये हवाई अड्डों का विकास कार्य तीव्र गति से जारी रहेगा।उन्होंने कहा कि मेट्रो रेल और नमो भारत रेल प्रणाली विशेषकर बड़े शहरों के आवागमन उन्मुख विकास को बढ़ावा देगी।केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में रूफ-टॉप सोलर एनर्जी को लेकर बड़ा एलान किया। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे मध्यम वर्ग को हर साल बिजली में खर्च होने वाली बड़ी राशि बचाने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्री के एलान के मुताबिक छत पर सौर प्रणाली लगाने से एक करोड़ परिवार प्रत्येक महीने 300 यूनिट तक निःशुल्क बिजली प्राप्त कर सकेंगे।यह योजना अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक दिन प्रधान मंत्री के संकल्प के अनुसरण में लाई गई है।
इससे निःशुल्क सौर बिजली और अधिशेष बिजली वितरण कंपनियों को बेचने से परिवारों को हर वर्ष पंद्रह हजार से अठारह हजार रुपये की बचत होगी। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन की स्थापना से आपूर्ति तक बड़ी संख्या में वेंडरों को काम मिलेगा। विनिर्माण, स्थापना और रखरखाव में तकनीकी कौशल रखने वाले युवाओं के लिए रोजगार के अवसर मिलेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के देश को कार्बन तटस्थ बनाने के दृष्टिकोण के तहत सरकार इलेक्ट्रिक बसों को व्यापक रूप से अपनाने को तैयार है। स्थायी परिवहन की इस दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम के तहत इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की।उन्होंने कहा कि यह रणनीतिक पहल विनिर्माण और चार्जिंग बुनियादी ढांचे दोनों पर केंद्रित है, जिसका लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परिदृश्य को मजबूत और व्यापक बनाना है।
इसके तहत ई-बस ऑपरेटरों के बीच विश्वास को बढ़ावा देते हुए भुगतान सुरक्षा तंत्र के कार्यान्वयन के माध्यम से इसे सुविधाजनक बनाया जाएगा। इस पहल से सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क को मजबूत करने, पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल आवागमन के तरीके को बढ़ावा देने की उम्मीद है। सतत विकास के लिए एक मजबूत नींव बनाने पर जोर देने के साथ, स्वच्छ और हरित भविष्य को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।केन्द्रीय बजट में दी गई जानकारी के अनुसार भूटान को ग्रांट और ऋण के तौर पर भारत की ओर से किसी देश को दी जाने वाली सबसे ज्यादा सहायता है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम और अंतरिम बजट पेश किया। इसके बाद दी गई जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान के अनुसार भारत सरकार ने विदेशी सरकारों को 6,541.79 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं।
इसमें अनुदान के रूप में 4,927.43 करोड़ रुपये और ऋण के रूप में 1,614.36 करोड़ रुपये हैं। 2023-24 के लिए 5,848.58 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से यह आंकड़ा ज्यादा है।वित्त मंत्रालय के बजट में दी गई जानकारी के अनुसार भूटान को सबसे अधिक 2398.97 करोड़ रुपये (1614.36 करोड़ रुपये ऋण) की सहायता दी गई है। इसके बाद मालदीव का नाम आता है। इस समुद्री पड़ोसी मालदीव को 770.90 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके बाद नेपाल को 650 करोड़ रुपये, म्यांमार को 370 करोड़ रुपये, मॉरीशस को 330 करोड़ रुपये, अफगानिस्तान को 220 करोड़ रुपये, बांग्लादेश को 130 करोड़ रुपये, श्रीलंका को 60 करोड़ रुपये, सेशेल्स को 9.91 करोड़ रुपये और मंगोलिया को 5 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है।
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