नारायण के उच्चारण से मिलता है मोक्ष : आत्मानंद 

अजामिल व भक्त प्रहलाद की कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता

नारायण के उच्चारण से मिलता है मोक्ष : आत्मानंद 

सरेनी/रायबरेली। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन  ग्राम पूरेचंदू मजरे काल्हीगांव में किया जा रहा है!भागवत कथा का यह आयोजन मंगलवार 6 फरवरी तक चलेगा,वहीं बुधवार 7 फरवरी को पूर्णाहुति के उपरांत विशाल भंड़ारे का आयोजन किया गया है!श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन शनिवार को कथावाचक श्री श्री 108 आत्मानंद सरस्वती जी महाराज ने अजामिल की कथा का मंथन किया!इस दौरान महाराज ने बताया कि परमात्मा का मनन करने से मनुष्य को मोक्ष मिलता है!जिस तरह अजामिल को नारायण के उच्चारण से मोक्ष मिला!बताया कि अजामिल कान्यकुब्ज ब्राह्मण कुल में जन्मे थे और कर्मकांडी थे!वह एक नर्तकी से विवाह रचा लेते हैं!25 संतों का एक काफिला अजामिल के गांव से गुजर रहा था!
 
यहां पर शाम हो गई तो संतों ने अजामिल के घर के सामने डेरा जमा दिया! रात में जब अजामिल आया तो उसने साधुओं को अपने घर के सामने देखा,इससे वह बौखला गया और साधुओं को भला बुरा कहने लगा!इस आवाज को सुन कर अजामिल की पत्नी जो नर्तकी थी वहां आ गई!पति को डांटते हुए शांत कर दिया!अगले दिन साधुओं ने अजामिल से दक्षिणा मांगी!इस पर वह फिर बौखला गया और साधुओं को मारने के लिए दौड़ पड़ा,तभी पत्नी ने उसे रोक दिया!साधुओं ने कहा कि हमें रुपया पैसा नहीं चाहिए!साधुओं ने कहा कि वह अपने होने वाले पुत्र का नाम नारायण रख ले,बस यही हमारी दक्षिणा है!
 
अजामिल की पत्नी को पुत्र पैदा हुआ तो अजामिल ने उसका नाम नारायण रख लिया और वह नारायण से प्रेम करने लगा!अजामिल हर समय नारायण नारायण करते रहता! इसके बाद जब अजामिल का अंत समय आया तो वह अपने पुत्र नारायण को आवाज लगाता है,जिससे यमदूत चौक जाते हैं!नारायण रटने से अजामिल को मोक्ष मिलता है!महाराज जी ने बताया कि जो महिला पुरूष भगवान नारायण का स्मरण करते हैं वह पुण्य के भागी होते हैं!कथाव्यास श्री स्वामी जी ने कहा कि भगवान बड़े ही दयालु और कृपालु हैं!सच्चे भक्त की पुकार पर भगवान दौड़े आते हैं!घोर आतताई राक्षस हिरणाकश्यप के घर विष्णु भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ!
 
पिता के लाख मना करने के बाद भी प्रहलाद का मन भगवान विष्णु की भक्ति में राम रहा!जिससे आजिज आकर हिरणाकश्यप ने पहलाद को मारने के हर संभव प्रयास किए! यहां तक कि उनकी बुआ होलिका से भी अपने पुत्र को मरवाने का प्रयास किया,जिसमें होलिका स्वयं जलकर समाप्त हो गई!ऐसे में राक्षस राज ने प्रहलाद से पूछा कि उसका भगवान कहां है,जिस पर प्रहलाद का उत्तर आया कि भगवान तो कण-कण में विराजमान है!प्रहलाद की करुण पुकार सुनकर भगवान नरसिंह खंभा फाड़़ कर निकले और हिरणाकश्यप का वध कर दिया!
 
वहीं पंडाल भगवान नरसिंह की जय जयकार से गूंज उठा!इस अवसर पर गिरजा शंकर दीक्षित,हरी शंकर दीक्षित, सुरेश चंद्र दीक्षित,उमेश चंद्र दीक्षित,ऋषि दीक्षित,दिनेश दीक्षित,राधे बाजपेई,रामजी पांडेय,कृष्ण कुमार अग्निहोत्री,गोवर्धन अग्निहोत्री,सधन अग्निहोत्री,करूणा शंकर शुक्ला,कृपा शंकर शुक्ला,हरी शंकर त्रिवेदी,राजकुमार मिश्रा,शिवतोष संघर्षी,कमल कुमार मिश्रा,कमलेश दीक्षित,गंगा सागर शुक्ला,हैप्पी मिश्रा,आदर्श तिवारी,राजेंद्र त्रिवेदी,रविशंकर मिश्रा,पुनीत त्रिवेदी,शैलेश मिश्रा,रजत बाजपेई,सी.एल. त्रिवेदी,शिवशंकर सिंह,दिनेश सिंह समेत सैकड़ों पुरुष व महिलाओं की उपस्थिति रही!

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