अयोध्या लिया, काशी और मथुरा भी लेंगे : जितेन्द्रानन्द सरस्वती

 अयोध्या लिया, काशी और मथुरा भी लेंगे : जितेन्द्रानन्द सरस्वती

अयोध्या । सन्यास परम्परा में हमारे दादा गुरू स्वामी शांतानन्द महाराज और मेरे गुरूदेव जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जो वरिष्ठ ट्रस्टी हैं। मैं आन्दोलन की दृष्टि से तीसरी पीढ़ी से हूं। यह बातें अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती ने एक साक्षात्कार में कही। प्रस्तुत है हिन्दुस्थान समाचार के वरिष्ठ संवाददाता बृजनन्दन राजू से उनकी बातचीत के संक्षिप्त अंश।

राम मंदिर आन्दोलन के लिए आपने संघर्ष किया है। प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है क्या कहेंगे आप?

सपने साकार कैसे होते हैं। आंखों के सामने उन सपनों को पूर्ण होते देखने का जो अनुभव है उसे शब्द दे पाना आसान नहीं है। अपने पूर्वजों के संघर्ष के बूते वर्तमान में संस्कृति सभ्यता के संघर्ष का एक सुखद समापन विजय के स्वरूप में हुआ है। यह केवल अयोध्या और सूर्यवंश में राम की जन्मभूमि का यह सूर्यादय नहीं है, यह सूर्योदय दुनिया के 125 देशों में रहने वाले हिन्दू समाज के स्वाभिमान का सूर्योदय है। इस स्वाभिमान के दिवस को हम सब उत्सव के रूप में मना रहे हैं।

राम मंदिर आन्दोलन में अखिल भारतीय संत समिति का क्या योगदान रहा?

अखिल भारतीय संत समिति पूज्य स्वामी वामदेव ने देश के संतों को संगठित करने के लिए की थी। इस समिति से जुड़े संतों ने गांव-गांव जाकर धर्म जागरण किया। जिसके कारण समाज संगठित हुआ। आन्दोलन में इस समिति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।


राम मंदिर निर्माण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कितना योगदान मानते हैं?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तिगत प्रयास साहस, शौर्य व गृहमंत्री अमित शाह की सूझबूझ का यह परिणाम है कि राम मंदिर का मुकदमा सुना गया। मथुरा और काशी का केस भी खुला है।

यदि नरेन्द्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री नहीं बने होते तो क्या सुप्रीम कोर्ट हमारे मामले की सुनवाई करता। अदालत में यह वातावरण बनता की मामले की सुनवाई की जाय। जिस अदालत के अंदर देश के चीफ जस्टिस नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री रहने के समय ही 2019 के चुनाव के समय यह कहा गया कि अटल बिहारी बाजपेयी को भगा दिया तो मोदी में क्या दम है कि वह 2019 में वापसी करेगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को यह कहा गया कि राम जन्मभूमि का फैसला सुनोगे तो हम तुम्हारे खिलाफ महाभियोग लायेंगे। ऐसी परिस्थितियों में आशा नहीं की जा सकती।


क्या मथुरा और काशी के लिए भी संत समाज आन्दोलन करेगा?

अखिल भारतीय संत समिति के प्रस्ताव में अयोध्या,मथुरा और काशी तीनों एक ही प्रस्ताव में था। अयोध्या पूर्ण हुआ। काशी और मथुरा के मुकदमे का फैसला आने वाला है। यह देश सरिया व धमकी से नहीं चलता। यह देश संविधान से चलता है। हम अदालतों के माध्यम से संवैधानिक तरीके से अयोध्या लिया है। काशी और मथुरा भी लेंगे। 
 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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