
प्रदीप मिश्र
गाज़ियाबाद। वैशाली सेक्टर 9 में सुपरटेक एस्टेट पर आखिर जीडीए क्यों मेहरबान है? क्या कारण है कि अवैध निर्माण को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बावजूद आज तक अवैध निर्माण को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नही हुई। अगर करवाई हुई है तो सिर्फ कागजों में खाना पूर्ति के लिए।
गौरतलब है कि सुपरटेक एस्टेट को जीडीए की तरफ से 247 फ्लैट बनाने की परमीशन मिली थी, जबकि भू-माफियाओं द्वारा 357 फ्लैट बना दिये गए। बहरहाल करोड़ों रुपये की जमीन पर सुपरटेक एस्टेट का कब्जा है।
ग्रीन बेल्ट में आने वाली जमीन पर भी सुपरटेक एस्टेट का अवैध कब्जा है जिसपर भू-माफियाओं के द्वारा पार्किंग काटकर बेची गयी है जबकि बिल्डर को सरकारी जमीन बेचने का कोई अधिकार नही है।
जीडीए के उपाध्यक्ष से इस संदर्भ में बात की गई तो उन्होंने पूरे प्रकरण को देखने का रटा रटाया बहाना कर दिया। जीडीए के ओएसडी सुशील चौबे का कहना है कि कार्रवाई की जा रही है। इस संदर्भ में गाजियाबाद प्राधिकरण को नोटिस पहले भी दिए गए थे, लेकिन उन पर अभी तक कोई संज्ञान नही लिया गया
प्राधिकरण का हमेशा की तरह रटा रटाया जवाब रहता है कि फिर से कार्रवाई की जाएगी, प्राधिकरण जो अवैध दुकान या फ्लैट है, उन पर समय -समय पर ध्वस्तीकरण से लेकर सीलिंग तक की कार्रवाई करता रहा है और आगे भी करता रहेगा।
सनद रहे कि हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार सुपरटेक एस्टेट वैशाली में 110 फ्लैट मालिकों को आरडब्लूए के चुनाव में वोटिंग से वंचित करने के बावजूद बिल्डर द्वारा बनाई गई सोसाइटी के चुनाव में सबको गैर कानूनी रुप से वोटिंग अधिकार दिए गए है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2015/16 में अपने फैसले में 110 फ्लैट के आवंटियों को अवैध घोषित कर दिए थे
गौरतलब है कि सुपरटेक एस्टेट द्वारा प्रहलाद गाडी की जमीन पर जो नक्शा पास कराया गया था, वह 247 फ्लैट का था, फिर 357 कैसे बन गए उस वक्त जीडीए के अधिकारी कुम्भकर्ण की नींद में सो रहे थे ।
एक बार फिर अक्टूबर माह में आरडब्लूए के चुनाव के लिए कमर कस रही सोसाइटीज के लिए मौजूदा हालात में देखने वाली बात होगी कि क्या रजिस्टार हाईकोर्ट के फैसले की मर्यादा रखते है या अपना ही कानून चलाते है। वैसे भी लोगों को कानून के साथ खेलने की पुरानी आदत है । जीडीए के अधिकारी कानों में तेल डालकर आराम से सो रहे है जबकि पूरे जनपद में भूमाफियाओं द्वारा अवैध निर्माण जोरों पर है। जेई , सुपरवाइजर, अधिकारीगण बेखौफ होकर अपनी अपनी जेब भरने में लगे हुए है ।
मेरठ से समाजसेवी ओमप्रकाश रतूड़ी, विनीत जैन द्वारा इसी संदर्भ में रजिस्टार अरविंद कुमार से मुलाकात की तो उन्होंने बताया जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। जो लोग चुनाव में सम्मिलित नही हो सकते उनको जबरन वोटिंग नही करने दी जाएगी । सुपरटेक एस्टेट की कुछ दुकानों और जगह पर जीडीए के द्वारा कार्रवाई की गई है जिसमे कुछ दुकानों को सील किया गया। लेकिन प्राधिकरण की मिलीभगत से सील लगी हुई दुकान आज भी खुली हैं। इसके अतिरिक्त सुपरटेक एस्टेट के द्वारा ग्रीन बेल्ट पर भी कब्जा किया हुआ है । प्रहलादगडी गांव के खसरा संख्या 299, 300, 302 जिसका क्षेत्रफल 16265 वर्गमीटर है । फ्लैट खरीदने वाले वायर्स ने फ्लैट को सुपरटेक एस्टेट के नियमानुसार भुगतान कर रजिस्ट्री करवाई थी । अपार्टमेंट एक्ट 2010 की धारा 4 उपधारा 5 के अनुसार जिन फ्लैटों को स्वीकृति के बिना बनाया गया है उनको मताधिकार का अधिकार नही है । गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के कारण ही अवैध निर्माण सम्भव हो पाया उस वक्त तय मानक के अनुसार सुपरटेक एस्टेट को काम करने दिया गया होता तो आज अवैध कब्जा नही होता । देखने वाली बात ये होगी क्या गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण कुम्भकर्ण की नींद से जागता है या नही ।