आस्था: कभी भी निष्फल नहीं जाती है मां कात्यायनी की आराधना

आस्था: कभी भी निष्फल नहीं जाती है मां कात्यायनी की आराधना

हरिशेखर यादव .पत्रकार नगर,खगड़िया: स्वयं के अंतस को ईश्वर के साथ जोड़ देने की प्रवृति ही भक्ति है। जब आत्मा परमात्मा की डोर से बंध जाती है तो उसके विचारों में पवित्रता आ जाती है,उसका अहंकार तिरोहित हो जाता है,वह सम भाव के साथ नर सेवा को ही नारायण सेवा समझने लगता है और आज मां कात्यायनी शक्तिपीठ में खुद की मौजूदगी उसी भक्ति का प्रतिफल है जिसने मुझे यहां तक खींच लाया है। कहा भी गया है कि सच्ची भक्ति से भगवान भी भक्त के वश में हो जाते हैं। उक्त बातें दार्शनिक शंभू ने खगड़िया स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां कात्यायनी के पावन दरबार में पूजन अर्चन उपरांत आयोजित सहभोज को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रकृति के गोद में बसी इस शक्तिपीठ के प्रांगण में उपस्थिति मात्र से भक्ति भाव जागृत होने से नकारात्मक अवगुणों का स्वतः तिरोहित हो जाना ही मां का आशीर्वाद है।उन्होंने कहा कि उन्हें यहां आकर अपनी अंतस चेतना में ईश्वर की साक्षात अनुभूति हो रही है।उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति से आंतरिक शक्ति मिलती है और आत्मविश्वास जागृत होता है जिससे नव ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि मां कात्यायनी की कृपा से ही व्यक्ति के अंतःकरण में परोपकारी प्रवृति की उत्पत्ति होती है जिससे उसके सोच, संबंध और स्वास्थ्य में संतुलन पैदा होता है, जो उसके सर्वांगीण उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक समृद्धि तो येन केन प्रकारेण अर्जित की जा सकती है लेकिन मानव जीवन को धन्य बनाने के लिए परोपकारी प्रवृति का होना अत्यंत आवश्यक है।
 
साधु,संतों, भिक्षुकों और पशु पक्षियों के सामूहिक भोजन की परंपरा का भी हुआ निर्वहन
इस दौरान दार्शनिक शंभू के नेतृत्व में संगम मोटर्स खगड़िया के सदस्यों ने पिछले पैंतीस वर्षों से इस परंपरा का निर्वहन करते हुए इस वर्ष भी मंदिर परिसर में साधुओं, संतों, भिक्षुकों और पशु पक्षियों को भोजन रूपी प्रसाद ग्रहण कराया। इस दौरान मंदिर परिसर में मौजूद ब्राह्मणों और पशु पक्षियों के बीच विशेष प्रसाद चूड़ा दही,खीर और पेड़ा का भी वितरण किया गया।
 
मौके पर ऑल रिपोर्टर्स यूनियन ऑफ नेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार वर्मा,मंदिर न्यास समिति के युवराज शंभू,दयानिधि प्रसाद सिंह,दार्शनिक शंभू, नीलम सिंह,सुभाष कुमार,राकेश कुमार,संजय कुमार सिंह हितेश कुमार सिंह, हरेराम कुमार, शशि कुमार, बलराम मालाकार आदि मौजूद थे।
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