ईश्वर के आश्रित रहकर निरंतर राम नाम रूपी मंत्र का जप करना चाहिये: डॉ प्रज्ञा मिश्रा

 ईश्वर के आश्रित रहकर निरंतर राम नाम रूपी मंत्र का जप करना चाहिये: डॉ प्रज्ञा मिश्रा

सलोन/रायबरेली। विकास खंड-सलोन के सूची कस्बे में चल रही चतुर्थ दिवसीय कथा के तीसरे दिन  उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद की कथा वाचिका-मानस माधुरी डा०प्रज्ञा मिश्रा ,गार्गी द्वारा अपने वक्तव्य के दौरान रामचरित मानस की चौपई- ''कलि प्रभाव विरोध चहुँ ओरा" व "मंत्र महा मणि विषय व्याल के, मेटत कठिन कुअंक भाल के"  सुनाते हुये कहा कि कलियुग में तमोगुण की प्रधानता है इसलिये हर तरफ विरोध दिखाई दे रहा है।अत:हमें इससे बचने का प्रयास करना चाहिये।ईश्वर के आश्रित रहकर निरंतर राम नाम रूपी मंत्र का जप करना चाहिये।भक्ति के मार्ग पर बढने वाले को अपना आहार -विहार शुद्ध रखना चाहिए।सात्विक भोजन करना चाहिए,शाकाहारी रहना चाहिये, जीवो पर दया करना चाहिये। इसी क्रम में झांसी जनपद से पधारे हुये  पीठाधीश्वर श्री जगत गुरु महाबीर दास ब्रम्हचारी जी महराज द्वारा कहा गया कि हर पिता का कर्तव्य है कि अपनी संतानो को सनातन से जोडे,  जो सनातन रावण ,कंश,हिरणाकश्यप, व विदेशी आक्रांताओं के अत्याचारों से नही मिट सका ,उसे कोई माई का लाल मिटा नही सकता,जो भी अनाचारी सनातन के आडे आयेगा वह स्वयं मिट जायेगा,जो राम का नही वह किसी काम का नही ।इस अवसर पर ग्राम  मनीष श्रीवास्तव, बाल गोपाल त्रिपाठी, जगतधर पांडेय,लाल पांडेय ,बृजेश सिंह,अरुण सिंह,चंद्रधर पांडेय,डा० के० बी० त्रिपाठी,अजय सिंह, सहित समिति के सद्स्य व अन्य श्रोता मौजूद रहे।

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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