डीएम की सख्ती से नहीं थमी खनन व ओवरलोडिंग की रफ्तार
महुटा, बरियारी, दादौंघाट, खप्टिहा 100/2 व 356/1 खदानों में खनन नियमों का निकला दम
बांदा। जनपद में खनिज सम्पदा की नीलामी और बिक्री के कारोबार से प्रदेश सरकार को जितना राजस्व मिलता है। उससे दो गुना राजस्व की लूट-खसोट प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली से लगातार जारी है। जिसमें खनन नियमों के विपरीत खनन, ओवरलोडिंग परिवहन व करोड़ों की चोरी पर कुछ लाख रुपए जुर्माना लगाकर मामले को निपटा दिया जाता है। एनजीटी नियमों का पालन कागजी सहमति व धरातल पर हवा हवाई साबित हो रहा है। पूरा मामला बीते मानसून सत्र के बाद से लगभग डेढ़ दर्जन बालू खदानें केन, बागे व यमुना में संचालित है। जिसमें विभिन्न कम्पनी व पट्टाधारक लाल सोने के बैध व अबैध करोबार की नूराकुश्ती होड़ शुरू किए हैं।
जिसमें चांदी की चमक से संबंधित प्रशासनिक अमले की आंखों को बंद कर दिया गया है।जिस कारण प्रतिदिन किसी न किसी खनन पट्टे की कारगुजारियों की शिकायतों की गुहार किसान व क्षेत्रीय ग्रामीण आला अधिकारियों की चौखट पर लगाते देखें जातें हैं। उनकी इन शिकायतों के सबूत शोसल मीडिया व अन्य माध्यमों में प्रकाशित तस्वीरें बीडीओ उजागर करते हैं। इनका संज्ञान लेकर डीएम, आयुक्त व एसपी की डांट-फटकार के बाद खनिज, राजस्व, परिवहन व पुलिस के दूसरे दर्जे के अधिकारी डैमेज कंट्रोल में इस काले व्यापार को दो चार ट्रक पकड़कर या किसी खदान में पहुंच कर कुछ लाख का जुर्माना कर ढक दिया जाता है।
बाकी अन्य खदानों में जमकर भारी भरकम मशीनरी नदियों में लाल सोने को खोदतीं रहतीं हैं।एक फोटोशूट के साथ हड़बड़ी में प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित हो जाती है। हड़बड़ी में न तो यह स्पष्ट किया जाता है कि जुर्माना कार्यवाही में किस-किस अनियमितता के चलते खनिज नियमों पर जुर्माना किया गया और फोटोशूट में ये भी नहीं देखा जाता कि कार्यवाही टीम के ठीक पीछे भारी भरकम मशीनरी तो नहीं है। अभी कुछ दिनों पूर्व ट्रक यूनियन ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया था कि यदि खदान से ओवरलोडिंग न की जाए तो ट्रक कहां से ओवरलोडिंग करेंगे
जिसमें अधिकारियों की मिलीभगत से यह काला कारोबार बदस्तूर जारी है जिसमें सभी की उपयोगिता के आधार पर हिस्सेदारी है।आपको बता दें कि नरैनी तहसील की बरियारी व बहादुर स्यौढा खदान में दबंगों के साये में जमकर दैत्याकार मशीनों से खनन कर तय मानक से तीन गुना अधिक बालू ट्रक में भरकर बेचीं जा रही है। इसके अलावा अतर्रा तहसील में महुटा, बबेरू की दादौंघाट, पैलानी तहसील में खप्टिहा 356/1 व 100/2 जहां नियमों का पालन खाली कागजों में हो रहा है धरातल में तो जमकर लूट-खसोट से धनकुबेर होने की रेस है।
हाईफ्रीक्वेंशी कैमरे, धर्म कांटे व सीमा स्तंभों का दिखावा सारे इंतजाम हुए फेल।
अबैध खनन व ओवरलोडिंग की रोकथाम के सारे इंतजाम सुनकर आप दंग रह जाएंगे कि पुख्ता है। जबकि अत्याधुनिक पी जेड कैमरे, धर्म कांटे व सीमा स्तंभों की देखरेख में दैत्याकार मशीनों से ट्रकों में टांप तक बालू भर दी जाती है और ये ट्रक सरपट दौड़ कर जनपद से महानगरों की बिक्री मंडियों तक पहुंचते हैं। सभी अफसरों को इनकी भनक नहीं लगती हैं क्योंकि नोटों की सुंगध से मूर्छित होकर कुम्भकरणी नींद का फायदा खनन कारोबारी उठाकर सरकारी राजस्व को करोड़ों की चपत लगा देते हैं। लेकिन जनता के भालो की नोक चुभन से एकाएक अफसर जागकर चौकसी में लग जाते हैं। लेकिन तब तक जीवनदायिनी नदियों का चीरहरण कर काले कारोबारी अपनी तिजोरियां भर कर रफूचक्कर हो जातें हैं। सारे इंतजाम व दावों का दम निकल जाता है। ज्यादा सवाल जवाब करने पर फर्जी मुकदमे, राजस्व जुटाने के लक्ष्य और अन्य भय से शांत करने का प्रयास किया जाता है।
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