
नई दिल्ली। दिल्ली के निगम चुनावों का परिणाम 7,दिसंबर को आ जायेगां व इस बार का परिणाम विगत 15,वर्षों से दिल्ली नगर निगम में काबिज भाजपा की सरकार की विदाई लगभग तय दिखाई दे रहीं हैं।
दिल्ली के नगर निगम पर आम आदमी पार्टी की ताजपोशी की राह लगभग आसान दिखाई दे रहीं है दरअसल दिल्ली में भाजपा की सरकार ने सत्ता में रहतें हुए दिल्ली की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे निगम के स्कूलों,टूटी फूटी गलियों,बदहाल निगम पार्क,गली मौहल्ले की लचर सफाई व्यवस्था व उससे भी बढ़कर दिल्ली के हर कोनें में तेजी से अस्तित्व में आ रहें कूड़े के पहाड़ इस बार भाजपा को दिल्ली की सत्ता से दूर करने के लिए पर्याप्त है।
इन निगम चुनावों में भी भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं था दिल्ली के चुनावों में जाने के लिए यहा पर भी भाजपा हिंदुत्व व मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ती नजर आ रहीं थी तो वहीं दूसरी ओर अपने ही पार्षदों की शैली से नाराज भाजपा ने वर्तमान अनेकों पार्षदों के टिकट भी काटे तो वही जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर अनेको जगहों पर ऐसे नयें उम्मीदवार उम्मीदवार उतारें जिसकी नाराजगी भलें ही कार्यकर्ताओं ने खुल कर ना दिखाई हो पर चुनाव प्रचार में उनकीं कमी को महसूस किया था सकता था जिसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के नगर निगम चुनावों के लिए बहुत पहलें से ही कमर कस रखीं थी और उसे जमीनी हकीकत बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी थी तो आम आदमी पार्टी दिल्ली मे अपने फ्री बिजली फ्री पानी फ्री वाई फाई व अन्य फ्री की योजनाओं के दम पर दिल्ली के मतदाताओं को लुभाने में कामयाब रही हैं।
इस बार दिल्ली के नगर निगम चुनावों में उसे साफ साफ जाता दिखाई दे रहा है दिल्ली के स्लम झुग्गी झोपड़ी बस्तियों व गरीब परिवार के मतदाता लगभग अरविंद केजरीवाल के चेहरें पर वोट डालता नजर आ रहा है वैश्विक महामारी मे जिस प्रकार से केजरीवाल सरकार ने जिस प्रकार से आटो रिक्शा चालकों, मजबूर कामगारों को जो पांच पांच हजार ₹ की आर्थिक सहायता दी थी उसे भी मतदाताओं ने गंभीरता से लिया है उसका भी एक बहुत बड़ा फायदा दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार को जाता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस का ग्राफ भी दिल्ली के इन निगम चुनावों में कुछ ऊपर जाता दिखाई दे रहा है पर वह दिल्ली कांग्रेस के लियें बहुत लाभदायक होता नहीं दिखता है हालांकि की दिल्ली कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अनिल चौधरी के नेतृत्व में पूरी दिल्ली में धरना प्रदर्शन किया पर वह दिल्ली की जनता के साथ कांग्रेस को जोड़ने में लगभग पूरी तरहा से विफल रहें हैं।
बहुजन समाज पार्टी का भी दिल्ली के इन नगर निगम चुनावों में खुलता नजर आ रहा है तो कुछ जगहों पर निर्दलीय प्रत्याशी भी कुछ वार्डो मे अपने दम खम दिखाते हुए दिखाई देगे इस प्रकार से दिल्ली के इस निगम चुनावों मे आम आदमी पार्टी को 125 से 135 सीटें बीजेपी 70 से 85 सीटें कांग्रेस 10 से 15 सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब होती दिख रहीं हैं।
अंत में दिल्ली नगर निगम के यह चुनाव यह भी तय करेगें की आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा मिलता हैं या नहीं परिणाम चाहें जो भी हो पर भाजपा मोदी के नाम पर कब तक चुनाव लड़ती रहेगीं..? और दिल्ली के मतदाता कब फ्री की सुविधाओं के जाल से बाहर निकलेगीं तो वही दिल्ली कांग्रेस के लियें दिल्ली नगर निगम के यह चुनाव एक बहुत बड़ी राहत लेकर आने वालें हैं और वह है इन चुनावों की हार का ठीकरा राहुल गांधी के सर पर नहीं फोड़ा जायेगां।