राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा धार्मिक स्वतंत्रता का पहला कदम : नीरज दौनेरिया
अयोध्या । बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज दौनेरिया का मानना है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा धार्मिक स्वतंत्रता का पहला कदम है। इसके बाद भारत का उत्थान प्रारम्भ होगा। आज जहां भी हिन्दू प्राण प्रतिष्ठा से अभिभूत है, वहां अब हिन्दू समाज एवं हिन्दू हितों की अवहेलना नहीं हो सकती। जिस प्रकार वंदेमातरम् जन-जन का मंत्र बना था और उसके जयघोष से 1947 में भारत को राजनीतिक स्वतंत्रता मिली थी, उसी प्रकार हमको धार्मिक-सांस्कृतिक आजादी की आवश्यकता है जिसका मंत्र होगा जय श्रीराम। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समेत कई बिंदुओं पर नीरज दौनेरिया ने हिन्दुस्थान समाचार के संवाददाता बृजनन्दन राजू से बातचीत की। प्रस्तुत है संक्षिप्त अंश-
प्रश्न- राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को आप किस रूप में देख रहे हैं?
उत्तर- पांच सौ वर्षों की पीड़ा और वेदना करोड़ों हिन्दुओं के मन में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही थी। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से हिन्दू समाज प्रफुल्लित है। आज हिन्दू समाज अपने जीवन मूल्यों पर गर्व कर रहा है। आजादी के बाद गुलामी के चिह्न हटे नहीं थे। बहुसंख्यक होने के बावजूद हिन्दू के पास कोई अधिकार नहीं थे। यह भारत का उषाकाल है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारत का उत्थान प्रारम्भ होगा। भारत की जय-जयकार दुनिया में होगी और भारत जगद्गुरु बनेगा।
प्रश्न- प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बजरंग दल की क्या भूमिका है?
उत्तर- बजरंग दल की भूमिका के स्वरूप अलग हैं। जैसे हनुमान जी ने रामकाज के लिए कभी विराट स्वरूप तो कभी लघु स्वरूप धारण किया। जब लंका में प्रवेश करना था तो सूक्ष्म रूप में गये। राक्षसों ने जब उन्हें पकड़ लिया तो लंका दहन भी किया। कभी-कभी परिस्थिति अनुसार भूमिका बदलनी भी पड़ती है। राम जानकी रथ यात्रा की सुरक्षा का प्रश्न आया तो बजरंग दल ढाल बनकर खड़ा हो गया। पूज्य संतों ने जब कारसेवा का आह्वान किया तो जम्मू-काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गुजरात के सोमनाथ से असम तक लाखों नौजवान अयोध्या पहुंचे। साढ़े पांच लाख नौजवानों ने साढ़े चार घंटे में विवादित ढ़ांचे को सदा सदा के लिए उखाड़ कर फेंक दिया। प्राण प्रतिष्ठा में जितने भी कार्य हो रहे हैं उस प्रत्येक योजना में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का समायोजन है। जब तक रामकाज पूरा नहीं होता तब तक बजरंग दल विश्राम की भूमिका में नहीं होगा।
प्रश्न- अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, मथुरा व काशी का नंबर कब आएगा?
उत्तर- पूज्य संतों के निर्देश पर विश्व हिन्दू परिषद ने राम मंदिर आन्दोलन को अपने हाथ में लिया था। विहिप का पुराना संकल्प स्पष्ट है। अयोध्या, मथुरा व काशी यह तीनों स्थान विहिप के प्रारम्भिक संकल्प हैं। समाज भी कह रहा है कि अयोध्या हुई हमारी है, मथुरा काशी की बारी है। जब तक यह तीनों स्थान हिन्दू समाज प्राप्त नहीं कर लेता तब तक वह चुप नहीं बैठेगा। यह वर्षों की पीड़ा है उस पीड़ा को हिन्दू समाज मिटाकर ही रहेगा।
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