
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने अगले पांच साल में देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में आगामी बजट 2020-21 से पहले उद्योग संगठन एसोचैम ने सरकार को उन उद्योगों को उच्च प्राथमिकता के क्षेत्र में लाने का सुझाव दिया है जिनमें एक करोड़ रुपये के निवेश से 50 या उससे अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। साथ ही, बीस फीसदी से अधिक महिलाओं को रोजगार देने वाली कंपनियों को टैक्स में एक फीसदी की छूट देने की वकालत की है।
एमएसएमई को मिले वित्तीय प्रोत्साहन या विशिष्ट कर छूट
डॉ. हीरानंदानी ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन कई राज्यों को जमीनी स्तर पर बाधाओं को दूर करने और अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है। भारत में न्यायिक सुधार की आवश्यकता है जिससे देश में अधिक अनुबंध प्रवर्तन में मदद मिल सके। साथ ही, सरकार से प्राप्त भूमि, शेड व गोदामों का तेजी से आवंटन हो सके। भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण एक लंबे समय से लंबित मुद्दा है और हम भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के लिए समयबद्ध नीति चाहते हैं।उन्होंने कहा कि एमएसएमई अर्थव्यवस्था का चेहरा है जिससे देश के हालात की तस्वीर दिखती है, लेकिन उच्च पूंजी लागत, क्रेडिट की पहुंच का अभाव, खराब बुनियादी ढांचा, बाजार से संपर्क की कमी के कारण इस क्षेत्र को परेशानी होती है। लिहाजा, एमएसएमई के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए समर्पित सूचकांक निर्धारित करनी होगी। व्यापक स्तर पर रोजगार प्रदान करने वाली एमएसएमई को वित्तीय प्रोत्साहन या विशिष्ट कर छूट दी जानी चाहिए।
लोगो के हाथों में अधिक पैसा आने से उपभोग मांग बढ़ेगी
उन्होंने कहा कि 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की बड़ी भूमिका होगी। साथ ही, टेलीकॉम सेक्टर पिछले तीन साल से वित्तीय दबाव में है और हाल के एजीआर के फैसले से उनका तनाव और बढ़ गया है, लिहाजा व्यापार में निरंतरता बनाए रखने के लिए एजीआर के मुद्दे का समाधान जरूरी है। उन्होंने कहा कि वेतनभोगियों के लिए कर दरों की अधिकतम सीमा को कॉपोर्रेट कर की दरों में कमी को ध्यान में रखते हुए 25 प्रतिशत रखा जाना चाहिए, जिससे लोगो के हाथों में अधिक पैसा आने से उपभोग मांग बढ़ेगी।
जीएसटी के सभी स्लैबों में 25% कटौती की सलाह
एसोचैम ने जीएसटी के सभी स्लैबों में 25 प्रतिशत कटौती करने और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की सलाह दी है। इस मौके पर एसोचैम के वाइस प्रेसीडेंट विनीत अग्रवाल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि भारत में किसानों के पास जोतों की जमीन बहुत कम है, जिससे फसल चक्र में पैदावार कम होती है और रखरखाव के अभाव में काफी कृषि उत्पाद खराब हो जाते हैं। अग्रवाल ने कहा, “हम सुनते हैं कि 30-40 फीसदी फल और सब्जियां खराब हो जाती हैं। कोल्ड चेन के अभाव में यह बर्बादी होती है। सबसे पहले उत्पादन बढ़ाने के लिए हम कॉरपोरेट फार्मिग कर सकते हैं, दूसरा उत्पादों को खराब होने से बचाने के उपाय कर सकते हैं जिससे 30-40 फीसदी की बर्बादी न हो, तीसरा, कृषि उत्पादों का मूल्यवर्धन किया जा सकता है।”
कृषि क्षेत्र में निवेश की जरूरत
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीनों क्षेत्रों में निवेश की जरूरत है और तीनों क्षेत्र में कंपनियां निवेश करना चाहती हैं। एसोचैम के वाइस प्रेसीडेंट ने कहा कि कृषि क्षेत्र में रोजगार के भी सबसे ज्यादा अवसर हैं, इसलिए इसमें निवेश से रोजगार सृजन भी होगा। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचा तैयार करने में विदेशी निवेश बढ़ाना जरूरी है क्योंकि इस दर से निवेश होना चाहिए उस दर से नहीं हो रहा है।