पोटैटो सिटी फर्रुखाबाद से कौन चखेगा जीत का स्वाद

पोटैटो सिटी फर्रुखाबाद से कौन चखेगा जीत का स्वाद

लखनऊ। फर्रुखाबाद जनपद का इतिहास ताम्रयुग काल तक का मिलता है। महाभारत काल में भी जनपद को महत्वपूर्ण स्थान रहा है। ऐसा माना जाता है कि 'अमावासु' ने इस राज्य की स्थापना की, जिसकी राजधानी कान्यकुब्ज (कन्नौज) हुई। उप्र में फर्रुखाबाद को पोटैटो सिटी के नाम से जाना जाता है। समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया समेत कई बड़े नेता यहां से चुनाव जीत चुके हैं। उप्र की संसदीय सीट संख्या 40 फर्रुखाबाद में चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा।

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट का इतिहास-
फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1952 में हुआ। पहले पांच चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत का परचम फहराया। कांग्रेस ने यहां 1984, 1991 और 2009 के चुनाव में भी जीत दर्ज की। 1963 में हुए उपचुनाव में वरिष्ठ समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) की टिकट पर यहां से जीते। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के दयाराम शाक्य ने कांग्रेस को परास्त किया था। वह 1980 में भी सांसद बने। 1989 में जनता दल से प्रसिद्ध पत्रकार संतोष भारतीय सांसद बने। 1996 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहली बार यहां जीत हासिल की।

भाजपा प्रत्याशी स्वामी सच्चिदानन्द साक्षी जीतकर दिल्ली पहुंचे। वह 1998 का चुनाव भी जीतने में कामयाब रहे। 1999 और 2004 के चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी यहां जीत का स्वाद चखा। 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशाी मुकेश राजपूत ने जीत का कमल खिलाया। 2019 के चुनाव में दोबारा मुकेश राजपूत कमल का फूल खिलाने में कामयाबी पाई। इस सीट पर अब तक हुए 18 चुनाव में 8 बार कांग्रेस, 4 बार भाजपा और 2 बार सपा जीत चुके हैं। बसपा को यहां अपनी पहली जीत का इंतजार है।

पिछले दो चुनावों का हाल-
2019 में मुकेश राजपूत की लड़ाई बसपा के मनोज अग्रवाल से थी। बीजेपी के मुकेश राजपूत ने बसपा के मनोज अग्रवाल को 2 लाख 20 हजार 216 वोटों से हराया था। मुकेश राजपूत को 567,930 (56.8%) वोट मिले थे। बसपा के मनोज अग्रवाल को 347,714 (34.71%) वोट हासिल किए थे। कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद को 55,143 (5.51%) वोट मिले थे। सलमान खुर्शीद अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे।

2014 के चुनाव की बात करें, तो इस चुनाव में भाजपा के मुकेश राजपूत ने सपा के रामेश्वर सिंह यादव को परास्त किया था। मुकेश राजपूत को 406,195 (41.84%) वोट मिले। वहीं सपा प्रत्याशी को 255,693 (26.34%) वोट हासिल हुए। बसपा के जयवीर सिंह 11.80 फीसदी और कांग्रेस के सलमान खुर्शीद 8.84 फीसदी वोट पाकर तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार-
भाजपा ने मौजूदा सांसद मुकेश राजपूत को तीसरी बार मौका दिया है। फर्रुखाबाद सीट गठबंधन में सपा के खाते में आई है। सपा ने डॉ. नवल किशोर शाक्य को टिकट दिया है। बसपा ने क्रांति पाण्डेय पर दांव लगाया है।

फर्रुखाबाद सीट का जातीय समीकरण-
फर्रुखाबाद लोकसभा सीट में वोटरों की संख्या लगभग 17 लाख 34 हजार 296 है। जातीय समीकरण की बात की जाए तो इस संसदीय सीट में क्षत्रिय वोटर 1.86 लाख, शाक्य 1.40 लाख, लोधी 2.75 लाख, यादव 2.18 लाख, मुस्लिम 1.74 लाख और ब्राह्मण वोटर 1.50 लाख हैं। वहीं कुर्मी वोटरों की संख्या 1.03 लाख, वैश्य 87 हजार और जाटव की संख्या भी करीब 98 हजार है।

विधानसभा सीटों का हाल-
फर्रुखाबाद संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें 4 सीटें फर्रुखाबाद जिले और 1 सीट एटा जिले में पड़ती है। यहां पर फर्रुखाबाद सदर, अमृतपुर, भोजपुर, कायमगंज (अ0जा0) और अलीगंज (एटा जिला) विधानसभा सीटें आती है। कायमगंज सुरक्षित सीट एनडीए के सहयोगी अपना दल सोनेलाल के पास है, बाकी सीटों पर भाजपा काबिज है।

जीत का गणित और चुनौतियां-
भाजपा ने मुकेश राजपूत पर तीसरी बार भरोसा जताया है। मुकेश की क्षत्रिय वोटरों में जबर्दस्त पकड़ है। कांग्रेस पार्टी से पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद फर्रुखाबाद से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन सपा से गठबंधन होने के बाद यह सीट सपा के खाते में चली गई। इससे क्षेत्र में नाराजगी है। वहीं, बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, हालांकि चुनावी माहौल में पार्टी अभी रम नहीं पाई है। इस बार यहां केंद्र सरकार की योजनाओं और अनुच्छेद 370 व राम मंदिर निर्माण की चर्चा है। भाजपा के इस दांव से निपटने के लिए सपा ने पीडीए का नारा दिया है।स्थानीय वकील एवं समाजसेवी संदीप कुमार शुक्ला के मुताबिक, यहां मुकाबला बीजेपी और इंडिया गठबंधन के बीच है। दोनों दलों को बसपा से सेंधमारी का खतरा है। बीजेपी और सपा में से जो अपने वोट के बिखराव को रोक लेगा, वो जीत के उतना ही करीब हो जाएगा।

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